*जी भर मज़ा लीजिए*
जी भर मज़ा लीजिए
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यूं ना खफा कीजिए,
कुछ तो वफ़ा दीजिए।
शीतल हवा प्यार की,
जी भर मज़ा लीजिए।
लब पर लगी लालिमा,
दो जाम भर पीजिए।
सुख–दुख भरी जिंदगी,
हँस कर लम्हें जी जिए।
गमगीन मनसीरत जहां,
पल खुशनुमा बीजिए।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)