नित्य करो चिंतन मनन*

नित्य करो चिंतन मनन*
नित्य करो चिंतन मनन, प्रभु को किया करो नमन।
ईश्वर तारणहार है, रचता जो संसार है।।
उनके दर में देर है,तनिक नहीं अंधेर है।
उनका ध्यान लगाइए, मन वांछित फल पाइए।।
धरती चलायमान है, उनका ही अभियान है।
जीवों में जो प्राण है, प्रभु का यही प्रमाण है।।
वही चलाते सांस हैं ,वही बनाते ग्रास हैं।
भक्तों का उद्धार कर, दुष्टों को संहार कर ।।
ईश भजन दिनरात हो, चाहे झंझावात हो।
प्रभु पर ही विश्वास हो, उनपर ही सब आस हो।।
हमसब उनके दास है, घट-घट उनका वास है।
श्रद्धा आस्था से नमन, उर से उनका हो मनन।।
नरेन्द्र सिंह, गया