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19 Mar 2024 · 1 min read

गरिमामय प्रतिफल

अभिभूत भावनाओं के चरमोत्कर्ष पर जिसका
उदय होता है,

अंतस्थ से यह उभरता है, और व्यवहार में
दृष्टिगोचर होता है ,

पवित्र वाणी एवं विचारों से यह सुशोभित होता है ,
पात्रता आकलन के मंच पर गहन मंथन की प्रक्रिया से यह निर्धारित होता है ,

गरिमामय यह प्रतिफल, अन्तर्निहित संस्कार,
पवित्र आचार ,विचार एवं व्यवहार से परिपूर्ण
कुछ विरलों द्वारा अर्जित किया जाता है ,

वरना दैनिक जीवन में औपचारिकता को भी दृष्टिभ्रम से सम्मान मान लिया जाता है ।

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