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13 Mar 2024 · 1 min read

छोड़ दिया है मैंने अब, फिक्र औरों की करना

छोड़ दिया है मैंने अब, फिक्र औरों की करना।
औरों की फिक्र में बीमार, खुद अपने को करना।।
छोड़ दिया है मैंने अब——————।।

सोचता हूँ मैं अब, अपनी खुशी के ही बारे में।
मतलबी हैं यह दुनिया, इससे आशा भी क्या करना।।
छोड़ दिया है मैंने अब——————–।।

दोस्त जिनको कहते थे हम, हो गए वो अब दुश्मन।
ऐसे हो जब रिश्तें यहाँ, तारीफ़ किसी की क्या करना।।
छोड़ दिया है मैंने अब——————।।

औरों के आशियानें जलाकर, करते हैं रोशन अपना घर।
ऐसे लोगों से दया- धर्म की, उम्मीद कभी क्यों करना।।
छोड़ दिया है मैंने अब—————–।।

किसने मुझे इमदाद दी है, जब था मैं मुफलिसी में।
मुश्किल से आबाद हुआ हूँ , गुलाम नहीं खुद को करना।।
छोड़ दिया है मैंने अब——————-।।

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

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