किताबें

किताबें कितनी अनूठी धरोहर हैं,
संस्कृति की,विश्वास की,
शक्ति और सामर्थ्य की।
युगों-युगों का अनुभव ,
अपने अन्दर समेटकर,
चिर निद्रा में सोई कोई मूरत सी।
मनोरंजन से लेकर,
फैसलों तक का सफ़र,
इन्ही से होकर तो गुजरता है।
व्यक्ति के चरित्र से लेकर,
व्यक्ति के भविष्य तक का विवरण,
इन्ही से तो मिलता है।
किताबें दुनिया हैं कल्पनाशीलता की,
किताबें गवाह हैं सच्चे इंसान की,
किताबों में युग छिपा है,
हमारे पूर्वजों का,
भविष्य की नींव से हमारे वर्तमान का।