आधुनिक युग में रिश्ते, प्रेम, शादियां, परिवार

आधुनिक युग में रिश्ते, प्रेम, शादियां, परिवार
का सत्यानाश , टूटने ओर तलाक होने की वजह ये है
अब लोगों ने कॉपरेशन ओर adjustment सीखन और समझना छोड़कर कॉम्पिटेटिव ओर equal होने पर फोकस कर दिया है।
अच्छा हुआ हमारे बाप दादा, मां , दादी नानी नाना
में ये compitative ego नहीं था तभी
परिवार संयुक्त थे, रिश्ते स्वस्थ मजबूत थे और शादियां 40 plus सालों तक copration एंड adjustment के साथ नीभाते थे।
ये equality, independent होने के फीचर ने अलग
मानसिकता दुर्गति कर दी है। ओर बनो progressive
जो व्यवहारिक पारिवारिक रिश्ते ना नाश ही रहा है ये ऐसा ही होगा। Progressive होने के चक्कर में
रिश्ते को वक्त नहीं, परिवार में परिवार नहीं,
मजाक बना दिया है अब तो परिवार, रिश्ते, प्रेम शादियां इन सब चीजों का ।
समाज जितना पढ़ लिख रहा है काम कर रहा है कमा रहा है independent होतजा रहा है।इनके अंदर अब ये ego आ गया है अब किसी की नीड नहीं। अब ये मजबूत है।
Fake log fake समाज
बाहर सबका status है भीतर सब कमजोर ओर घरोंमे सबके नंगा नाच चल रहा है