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29 Oct 2024 · 1 min read

*मनः संवाद—-*

मनः संवाद—-
29/10/2024

मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl

तेरा मेरा साथ रहे, जैसे चंदा चाँदनी, रहते हर पल साथ।
जीवन की आपाधापी, कभी प्रभावित मत करे, हो हाथों में हाथ।।
महक उठे गलियाँ सारी, सुरभित मन की हर दिशा, प्रसरित हो प्रण गाथ।
रसपति अनकूलन देवें, हे रसवंती कामिनी, मैं तेरा रतिनाथ।।

रसना रसनिधि खुश होते, जब भी तेरा नाम लूँ, होते दंग रसज्ञ।
रहते हैं रस-धातु सजग, करती नव रसकेलियाँ,
गिनते हैं गणितज्ञ।।
तुम अनंत रसमूल सखी, तुम मेरी रसनोपमा, स्वशासित प्रिय यज्ञ।
ये मेरा सौभाग्य सदा, तुम मेरी रसधार हो, परंपरागत प्रज्ञ।।

— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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