Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Feb 2024 · 1 min read

नफरत

दीवारें नफरत के घरोंदों की
अक्सर बनी होती हैं
उन शब्दों की ईंटों से
जो पकने से पहले ही गिर जाती हैं
किसी की उम्मीदों के बहते पानी में।

उछलती हुई बूँदें जब बिखर जाती हैं
नाकामयाबी की सड़क पे
और मिल के मिट्टी से तब्दील हो जाती हैं कीचड़ में।
विक्षिप्त दिमाग सी कीचड़ मिलकर अधपकी ईंट से
बना देती है नफरत के पक्के घर।

सुनो, तुम जब भी जाओ वहां साथ ले जाना
बर्फ सा ठंडा दिमाग,
क्योंकि वो ईंटें आज भी गर्म हैं।
और ले जाना एक साफ़ आईना,
ताकि तुम्हें याद रहे तुम्हारा अपना अक्स।
हाँ! मत भूलना अपने गुलाब से दिल को,
वहां की बू तुम सह नहीं पाओगे।
और क्या याद दिलाऊं?
कि छोड़ देना यहीं पे दीवारों को तोड़ने का सामान,
टूटकर पक जाती हैं ये कच्ची दीवारें।
बस! तुम चले जाना…
खड़े हो जाना… उन्हें देखना…
और पुकारना उम्मीद के पानी को…
देखना! ढह जायेगा नफरत का पूरा घर,
बह जायेगा उसी पानी में।
तुम देखना… देखोगे ना!

Language: Hindi
76 Views

You may also like these posts

गीत- इरादे नेक हों जिसके...
गीत- इरादे नेक हों जिसके...
आर.एस. 'प्रीतम'
वो सुहाने दिन
वो सुहाने दिन
Aman Sinha
गुरुपूर्व प्रकाश उत्सव बेला है आई
गुरुपूर्व प्रकाश उत्सव बेला है आई
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
आधा - आधा
आधा - आधा
Shaily
*यात्रा*
*यात्रा*
Shashank Mishra
*न्याय दिलाओ*
*न्याय दिलाओ*
Madhu Shah
#दोहा- (प्रणय प्रभात)
#दोहा- (प्रणय प्रभात)
*प्रणय*
मेरी धड़कनों में
मेरी धड़कनों में
हिमांशु Kulshrestha
मेरी कविताएं पढ़ लेना
मेरी कविताएं पढ़ लेना
Satish Srijan
लूट पाट कर  ले गए,  मेरा वे घर बार  ।
लूट पाट कर ले गए, मेरा वे घर बार ।
RAMESH SHARMA
*अंतर्मन में राम जी, रहिए सदा विराज (कुंडलिया)*
*अंतर्मन में राम जी, रहिए सदा विराज (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
" चर्चा "
Dr. Kishan tandon kranti
नज़र
नज़र
Shyam Sundar Subramanian
15) मेरे जीवन का रोशन पहलू
15) मेरे जीवन का रोशन पहलू
नेहा शर्मा 'नेह'
त्यौहार
त्यौहार
Mukesh Kumar Sonkar
अंतर्द्वंद्व
अंतर्द्वंद्व
रीतेश माधव
रख हौसला, कर फैसला, दृढ़ निश्चय के साथ
रख हौसला, कर फैसला, दृढ़ निश्चय के साथ
Krishna Manshi
मैं कौन हूं
मैं कौन हूं
Anup kanheri
तन्हा ख़्याल
तन्हा ख़्याल
प्रकाश कुमार "बाग़ी"
अब मुझे महफिलों की,जरूरत नहीं रही
अब मुझे महफिलों की,जरूरत नहीं रही
पूर्वार्थ
* पेड़ काटना बंद कीजिए*
* पेड़ काटना बंद कीजिए*
Vaishaligoel
क्या रावण अभी भी जिन्दा है
क्या रावण अभी भी जिन्दा है
Paras Nath Jha
जिंदगी के उतार चढ़ाव में
जिंदगी के उतार चढ़ाव में
Manoj Mahato
कुंडलिया
कुंडलिया
sushil sarna
राम ने कहा
राम ने कहा
Shashi Mahajan
गरीबी
गरीबी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
नया दिन
नया दिन
Vandna Thakur
जिम्मेदारियां दहलीज पार कर जाती है,
जिम्मेदारियां दहलीज पार कर जाती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
तस्वीर
तस्वीर
Rambali Mishra
अंधा वो नहीं होता है
अंधा वो नहीं होता है
ओंकार मिश्र
Loading...