Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Mar 2025 · 1 min read

जो हैं रूठे मैं उनको मनाती चली

प्रेम के पुष्प पग-पग बिछाती चली,
नित्य करती सृजन गीत गाती चली।
पत्थरों को रिझाने की आदत मेरी,
जो हैं रूठे मैं उनको मनाती चली।।

ख़्वाब में आज उनसे मिली ही नही,
मन की कलियां हमारे खिली ही नही।
उधड़े रिश्तों की तुरपाई करती रही,
जाने क्यों अब तलक ये सिली ही नही।

काव्य का अंश बनकर मैं आयी यहाँ,
स्वसृजित धुन मधुर गुनगुनाती चली।
पत्थरों को रिझाने की आदत मेरी,
जो हैं रूठे मैं उनको मनाती चली।।

सांझ की रिक्तिमा का अंधेरा बनी।
दुःख का कारण बहुत ही घनेरा बनी।
सुख का सूरज हुआ मैं प्रकाशित हुई,
फिर मैं सुन्दर, सुनहरी, सवेरा बनी।।

नफ़रत-ए-दौर में प्रेम-दीपक जला,
मैं करामात सबको दिखाती चली।
पत्थरों को रिझाने की आदत मेरी,
जो हैं रूठे मैं उनको मनाती चली।।

दोष गिनती रही उंगलियों पर मगर,
दोष तुम ही बताते तो मिलता सुकूँ।
तुमने रोका नही, तुमने टोका नही,
काश तुम ही बताते कहाँ मैं रुकूँ।।

ख़्वाब बेरंग थे इक जमाने से जो,
मनपसंद रंग उनको दिलाती चली।
पत्थरों को रिझाने की आदत मेरी,
जो हैं रूठे मैं उनको मनाती चली।।

@स्वरचित व मौलिक
कवयित्री शालिनी राय ‘डिम्पल’
आजमगढ़, उत्तर प्रदेश।

Language: Hindi
14 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

जीवन की नैया
जीवन की नैया
भरत कुमार सोलंकी
Filled with gratitude
Filled with gratitude
Poonam Sharma
तेरी याद.....!
तेरी याद.....!
Kunwar kunwar sarvendra vikram singh
*तोता (बाल कविता)*
*तोता (बाल कविता)*
Ravi Prakash
उस रात रंगीन सितारों ने घेर लिया था मुझे,
उस रात रंगीन सितारों ने घेर लिया था मुझे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
अपनी कहानी में तुम भी सही हो,
अपनी कहानी में तुम भी सही हो,
jyoti jwala
मिल जाएँगे कई सिकंदर कलंदर इस ज़माने में मगर,
मिल जाएँगे कई सिकंदर कलंदर इस ज़माने में मगर,
शेखर सिंह
बिखरा ख़ज़ाना
बिखरा ख़ज़ाना
Amrita Shukla
पुरुष जितने जोर से
पुरुष जितने जोर से "हँस" सकता है उतने जोर से "रो" नहीं सकता
पूर्वार्थ
शब्द
शब्द
Ajay Mishra
लोग खुश होते हैं तब
लोग खुश होते हैं तब
gurudeenverma198
कभी-कभी सब खत्म होने के बाद ही एक नई शुरुआत होती है, शायद यह
कभी-कभी सब खत्म होने के बाद ही एक नई शुरुआत होती है, शायद यह
पूर्वार्थ देव
3368.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3368.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
दर्शन की ललक
दर्शन की ललक
Neelam Sharma
दोहावली...
दोहावली...
आर.एस. 'प्रीतम'
बोलो जय जय सिया राम
बोलो जय जय सिया राम
उमा झा
प्याला।
प्याला।
Kumar Kalhans
चुप्पियाँ बढ़ती जा रही हैं उन सारी जगहों पर जहाँ बोलना जरूरी
चुप्पियाँ बढ़ती जा रही हैं उन सारी जगहों पर जहाँ बोलना जरूरी
Iamalpu9492
क्षितिज पर उदित एक सहर तक, पाँवों को लेकर जाना है,
क्षितिज पर उदित एक सहर तक, पाँवों को लेकर जाना है,
Manisha Manjari
सेंटा क्लाज
सेंटा क्लाज
Sudhir srivastava
सभी इस मंच  के लोगों,
सभी इस मंच के लोगों,
DrLakshman Jha Parimal
विषय- #जो_जैसा_है_उसे_वैसा_ही_अपना_लो_रिश्ते_निभाने_आसान_हो_जाएंगे।
विषय- #जो_जैसा_है_उसे_वैसा_ही_अपना_लो_रिश्ते_निभाने_आसान_हो_जाएंगे।
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
सती सावित्री
सती सावित्री
मनोज कर्ण
आशा जीवन
आशा जीवन
Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan"
बाण मां री महिमां
बाण मां री महिमां
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
माॅ के गम में
माॅ के गम में
Chitra Bisht
Interest vs interrupt
Interest vs interrupt
Rj Anand Prajapati
व्यंजन की कविता
व्यंजन की कविता
krupa Kadam
मतदान जागरूकता
मतदान जागरूकता
Neerja Sharma
Loading...