आशा जीवन
///आशा जीवन///
मां तेरी आशा मेरा जीवन,
जल गए दीप अंतर मन में,
जो आज तक बुझे थे।
जला न सकी जिनको ज्वाला,
वे शुचि नयनों को मूंदे थे।
यह तेरी वीणा का पावन नाद,
हो रहा अब अंतर निनाद,
तेरी इच्छा का अतुल प्रसाद।
मां तुझको ही अर्पित सुख दुख,
चंचल जीवन का अवसाद।।
तू ही मेरा चंचल यौवन,
अर्ध मिलित प्राणों का गुंफन,
आत्मा के नवजीवन मंथन।
शुचि वेद बने मां तेरी आशा,
सुकल्प दृष्टि से उर का बंधन।।
प्राण सुधामय तेरा गायन।
मां तेरी आशा मेरा जीवन।।
स्वरचित मौलिक रचना
प्रो. रवींद्र सोनवाने ‘रजकण’
बालाघाट (मध्य प्रदेश)