लगाओ पता इसमें दोष है किसका
*तुम और मै धूप - छाँव जैसे*
मैंने जलते चूल्हे भी देखे हैं,
खूब उलझता हूँ रिश्तों के जालों में।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
वृक्ष लगाना भी जरूरी है
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
sp131 गजब भरा हर/ हिला था बंद पंखा
कौन है सच्चा और कौन है झूठा,
कृष्ण में अभिव्यक्ति है शक्ति की भक्ति की
चरित्र साफ शब्दों में कहें तो आपके मस्तिष्क में समाहित विचार
जिंदगी में हर पल खुशियों की सौगात रहे।
जितनी स्त्री रो लेती है और हल्की हो जाती है उतना ही पुरुष भी
फांसी का फंदा भी कम ना था,
आप जब तक दुःख के साथ भस्मीभूत नहीं हो जाते,तब तक आपके जीवन क