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9 Nov 2024 · 1 min read

सुखांत

जीवन का मध्यांतर
दुखांत चलचित्र की तरह होने के पहले
मैं अपना किरदार बदलना चाह रहा था
रावण से राम बनने राह जुगाड़ रहा था ।

मंदोदरी तैयार नहीं थी
चौदह वर्ष कष्ट उठाने को
सोने की लंका में रह कर
दंडक वन में जाने को ।

भाई विभीषण
अपने किरदार से सुखी था
राम को बहन नहीं थी
अंत: सूपर्णखा दुखी थी ।

और यों आज मैं
रावण का रावण हूँ
राम के हाथों मरकर
सुखांत का कारण हूँ ।

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