कुदरत तेरा करतब देखा, एक बीज में बरगद देखा।
वो दौर था ज़माना जब नज़र किरदार पर रखता था।
कुछ रिश्ते भी रविवार की तरह होते हैं।
डॉ अरुण कुमार शास्त्री /एक अबोध बालक
सहसा यूं अचानक आंधियां उठती तो हैं अविरत,
*अपने जो रूठे हुए, होली के दिन आज (कुंडलिया)*
बेनाम जिन्दगी थी फिर क्यूँ नाम दे दिया।
" खुशी में डूब जाते हैं "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
विकास की बाट जोहता एक सरोवर।
शून्य हो रही संवेदना को धरती पर फैलाओ
Accountability is a rare trait, but it’s what builds trust a
हमारे अंदर बहुत संभावना मौजूद है हमें इसे खोने के बजाय हमें