पृथक- पृथक चूल्हे हुए,
पृथक- पृथक चूल्हे हुए,
पृथक हुए परिवार ।
शून्य हुई संवेदना,
बिखरा घर संसार ।।
सुशील सरना / 12-7-24
पृथक- पृथक चूल्हे हुए,
पृथक हुए परिवार ।
शून्य हुई संवेदना,
बिखरा घर संसार ।।
सुशील सरना / 12-7-24