Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Jan 2024 · 3 min read

गंगा अवतरण

सूर्यवंश श्री राम के कुल में, पूर्वज महाराज सगर हुए
धर्म परायण कीर्तिवान, चक्रवर्ती सम्राट हुए
सुमति और केशनी, उनकी दो महारानी थी
दोनों ही महाराज सगर को,अपनी जान से प्यारी थीं
सुमति के हुए साठ हजार पुत्र, केशनी के असमंजस थे असमंजस के एक पुत्र, अंशुमान विख्यात हुए
प्रजा पालक धर्मशील, और प्रतिभा के धनी हुए
सुमति पुत्र थे साठ हजार, उद्दंड और अहंकारी थे
शील और मर्यादा में, नहीं वे शिष्टाचारी थे
एक बार महाराज सगर ने, अश्वमेध अनुष्ठान किया
ईर्षाबस इंद्रदेव ने, कपिल आश्रम में घोड़ा बांध दिया
अश्व खोजते सगर पुत्र, कपिल आश्रम आ पहुंचे
बंधा अश्व आश्रम में पाकर, कपिल को मारने जा पहुंचे
टूट गई जब सहज समाधि,मुनि ने तब आंखें खोली
ब़ह्मतेज से भस्म हुए,जली देह की होली
गरुड़ ने घटना अंशुमान को, जाकर तत्काल बताई
अंशुमान ने आश्रम आने में, देरी नहीं लगाई
कपिल मुनि का अंशुमान ने, हृदय से स्तुति गान किया
मन बचन और कर्म से, मुनि को शीघ्र प्रसन्न किया
कपिल मुनि अंशुमान से बोले, तुम यह घोड़ा ले जाओ
चक्रवर्ती सम्राट सगर का, यज्ञ अब पूरा करबाओ
साठ हजार ये सगर पुत्र, अधार्मिक और अभिमानी थे
अपने कर्मों से राख हुए, वे इसके अधिकारी थे
बिना विचारे उद्दंडों ने, तप में जब व्यवधान किया
तप की अग्नि से मैंने, उन सबको राख किया
इनका भी हो सकता है उद्धार, गंगा धरती पर आ जाएं
पढ़ी हुई इस राख पर, जल स्पर्श करा जाएं
अंशुमान ने अश्व लिया, यज्ञ संपन्न कराया
अंशुमान को महाराज सगर ने, अगला सम्राट बनाया
तप हेतु वन गमन किया, राज पाट न भाया
गंगा लाने धरती पर, छोड़ दी सारी माया
तप करते हुए सगर ने छोड़ दी अपनी काया
अंशुमान को पूर्बजों की, मुक्ति की चिंता रहती थी
गंगा धरती पर आए, कुछ युक्ति समझ न आती थी
एक दिन महाराज अंशुमान ने, राज पुत्र दिलीप को सौंप दिया
गंगा लाने धरती पर लाने, तपस्या को वन गमन किया
नहीं हुआ सपना पूरा, तपस्या में शरीर शांत हुआ
महाराज दिलीप ने भी, पिता का अनुसरण किया
धरती पर गंगा लाने का, एक अथक प्रयास किया
महाराज दिलीप का प्राणांत हो गया, उनका प्रयास विफल हुआ
राजा दिलीप के पुत्र भागीरथ ने, गंगा लाने की ठानी
घोर तपस्या की भागीरथ ने, ब्रह्मा ने बात उनकी मानी
गंगा मां ने स्वीकृति दी, भागीरथ के दुख को पहचानी
गंगा मां ने कहा भागीरथ,धरा पर मेरा वेग कौंन सहेगा
रुका नहीं अगर वेग, जल पाताल वहेगा
मेरे तीव्र वेग को, शिव समर्थ हैं सहने में
उनको तुम प्रसन्न करो, हैं समर्थ सब करने में
भागीरथ ने घोर तपस्या से, शिवजी को प्रसन्न किया
गंगा जी का वेग रोकने, भागीरथ को वरदान दिया
विश्वरूप हो गए शिवा, जटा सृष्टि में फैलाई
समा गईं जटाओं में गंगा, बाहर नहीं निकल पाईं
भागीरथ की स्तुति से शिव ने, जटा एक फिर खोली
बड़े वेग से गंगा ने, फिर आंख धरा पर खोली
आगे-आगे भागीरथ, पीछे गंगा चलतीं थीं
जंगल और पहाड़ों को, संग बहा ले जाती थीं
उसी मार्ग में जह्नु मुनि का, आश्रम एक निराला था
यज्ञ कर रहे थे महामुनि, गंगा ने सामान बहाया था
महामुनि ने देख दृश्य, शक्ति से गंगा पान किया
भागीरथ के वंदन करने पर, कान से पुत्री रूप में जन्म दिया
इसीलिए देवी गंगा जाह्निवी कहलाती हैं
भागीरथ के तब से आईं, भागीरथी कहलाती हैं
विष्णु के पद से द्रवित हुई, बे विष्णुपदी कहलाती हैं
देव सरि होने के कारण, सुरसरि भी कहलातीं हैं
निर्मल करती है पापों से, जग में खुशहाली लाती हैं
देव दनुज मनुज, हर जीव को गले लगातीं हैं
सगर पुत्रों की मुक्ति को, गंगासागर तक जाती हैं
मां गंगा दुनिया के, जन-जन में बस जातीं हैं
स्मरण मात्र से मां गंगा, जीव को सुख पहुंचाती हैं

Language: Hindi
130 Views
Books from सुरेश कुमार चतुर्वेदी
View all

You may also like these posts

मैं पुरखों के घर आया था
मैं पुरखों के घर आया था
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
बग़ावत की लहर कैसे..?
बग़ावत की लहर कैसे..?
पंकज परिंदा
आप में आपका
आप में आपका
Dr fauzia Naseem shad
मदद का हाथ अगर तुम बढ़ा सको तो चलो
मदद का हाथ अगर तुम बढ़ा सको तो चलो
Anis Shah
ज़िन्दगी,
ज़िन्दगी,
Santosh Shrivastava
मूर्दों का देश
मूर्दों का देश
Shekhar Chandra Mitra
गलियों का शोर
गलियों का शोर
PRADYUMNA AROTHIYA
ये सोहबत तुम्हारी नई-नई वफ़ाओं से है,
ये सोहबत तुम्हारी नई-नई वफ़ाओं से है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पेड़ कटता जा रहा झूठे विकासों में ।
पेड़ कटता जा रहा झूठे विकासों में ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
देख इंसान कहाँ खड़ा है तू
देख इंसान कहाँ खड़ा है तू
Adha Deshwal
चेहरे की पहचान ही व्यक्ति के लिये मायने रखती है
चेहरे की पहचान ही व्यक्ति के लिये मायने रखती है
शेखर सिंह
लेखनी से आगे का स्त्रीवाद
लेखनी से आगे का स्त्रीवाद
Shweta Soni
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
चलो♥️
चलो♥️
Srishty Bansal
वक्त का आईना
वक्त का आईना
पूर्वार्थ
हिंदी भाषा
हिंदी भाषा
Kanchan verma
अपने वतन पर सरफ़रोश
अपने वतन पर सरफ़रोश
gurudeenverma198
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
2626.पूर्णिका
2626.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
भूख
भूख
Dr. Bharati Varma Bourai
प्रेम क्या है?
प्रेम क्या है?
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
वैज्ञानिक अध्यात्मवाद एवं पूर्ण मनुष्य (Scientific Spiritualism and the Complete Man)
वैज्ञानिक अध्यात्मवाद एवं पूर्ण मनुष्य (Scientific Spiritualism and the Complete Man)
Acharya Shilak Ram
"गिरना जरूरी है"
Dr. Kishan tandon kranti
अपनी यादों को देखा गिरफ्तार मकड़ी के जाले में
अपनी यादों को देखा गिरफ्तार मकड़ी के जाले में
Atul "Krishn"
हक जता तो दू
हक जता तो दू
Swami Ganganiya
वो जहां
वो जहां
हिमांशु Kulshrestha
छूटना
छूटना
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मैं मेरा घर मेरा मकान एक सोच
मैं मेरा घर मेरा मकान एक सोच
Nitin Kulkarni
विवाह
विवाह
Shashi Mahajan
दिलकश
दिलकश
Vandna Thakur
Loading...