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9 Jan 2024 · 1 min read

मुक्तक

इच्छाओं की दामिनी, नृत्य करे दिन रात ।
मदन मेघ सब जानते, चातक मन की बात ।
रखे अंक में ज्योत्सना, अपने मन का चाँद –
विभावरी की ओट से , झाँके मौन प्रभात ।

सुशील सरना

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