Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Jan 2024 · 1 min read

ग़ज़ल

तुम्हारा साथ मुझे अब दवा सा लगता है।
तुम्हारा प्यार मुझे अब दुवा सा लगता है।
❤️
कभी हमराज़ था जो आज मिज़ाजन बदला।
पुराना यार मुझे अब नया सा लगता है।
❤️
उसे ख़बर ही नहीं इंतेहा मोहब्बत की।
वह बेवफा भी मुझे बावफा़ सा लगता है।
❤️
मैं राज़दार हूं जिस शख्स के गुनाहों का।
अब वही शख्स ज़माने को खुदा लगता है।
❤️
“सगी़र” छोड़ गया मुझको जब अकेला वो।
हर एक लम्हा मुझे अब सजा़ सा लगता है।

Language: Hindi
278 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-157 से चयनित दोहे संयोजन- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-157 से चयनित दोहे संयोजन- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
“दाग़”
“दाग़”
ओसमणी साहू 'ओश'
यह सोचा न था कभी ...…
यह सोचा न था कभी ...…
ओनिका सेतिया 'अनु '
स्काई लैब
स्काई लैब
Kumar Kalhans
ज़िंदगी की अहमियत
ज़िंदगी की अहमियत
anurag Azamgarh
4218💐 *पूर्णिका* 💐
4218💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
मंगलमय नव वर्ष
मंगलमय नव वर्ष
अवध किशोर 'अवधू'
यह चाय नहीं है सिर्फ़, यह चाह भी है…
यह चाय नहीं है सिर्फ़, यह चाह भी है…
Anand Kumar
महिलाओं की बात ही कुछ और है
महिलाओं की बात ही कुछ और है
Sarla Mehta
झिलमिल
झिलमिल
Kanchan Advaita
दुनिया में मैं कुछ कर न सका
दुनिया में मैं कुछ कर न सका
manorath maharaj
শিবকে ভালোবাসি (শিবের গান)
শিবকে ভালোবাসি (শিবের গান)
Arghyadeep Chakraborty
सराब -ए -आप में खो गया हूं ,
सराब -ए -आप में खो गया हूं ,
Shyam Sundar Subramanian
15.डगर
15.डगर
Lalni Bhardwaj
5) कब आओगे मोहन
5) कब आओगे मोहन
पूनम झा 'प्रथमा'
■हरियाणा■
■हरियाणा■
*प्रणय प्रभात*
यूं ही नहीं समेटे रखी तेरी यादों को अपने सिरहाने तले मेरी जा
यूं ही नहीं समेटे रखी तेरी यादों को अपने सिरहाने तले मेरी जा
ruchi sharma
काम चले ना
काम चले ना
ललकार भारद्वाज
पत्नी
पत्नी
विशाल शुक्ल
दोस्ती में हम मदद करते थे अपने यार को।
दोस्ती में हम मदद करते थे अपने यार को।
सत्य कुमार प्रेमी
భారత దేశం మన పుణ్య ప్రదేశం..
భారత దేశం మన పుణ్య ప్రదేశం..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
कभी कभी रास्ते भी उदास होते हैं ....बहुत उदास .....
कभी कभी रास्ते भी उदास होते हैं ....बहुत उदास .....
पूर्वार्थ
हँसता चेहरा दुनिया देखे , रोते को यहाँ पूछे कौन
हँसता चेहरा दुनिया देखे , रोते को यहाँ पूछे कौन
कविराज नमन तन्हा
मुझे भाता है
मुझे भाता है
हिमांशु Kulshrestha
बसंत
बसंत
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
धनुष वर्ण पिरामिड
धनुष वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
'मेरे गुरुवर'
'मेरे गुरुवर'
Godambari Negi
जीवन यात्रा
जीवन यात्रा
विजय कुमार अग्रवाल
हर घर तिरंगा
हर घर तिरंगा
Dr Archana Gupta
" रिश्ता "
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...