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18 May 2024 · 1 min read

झिलमिल

उसकी यादों की झिलमिल
हर शाम मेरे आँगन में
तुलसी पर
जलते दीये की लौ
की तरह झिलमिलाती है
तुलसी पर जलते सुगंधित
धूप-दीप की तरह
मेरे घर में प्रवेश कर
चारों और फैल जाती है
जैसे सारा घर पवित्र हो
महक उठता है
उसकी यादों की झिलमिल
हर शाम मेरे घर आँगन
को जगमगाती है…

©️कंचन”अद्वैता’

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