*कर्ज लेकर एक तगड़ा, बैंक से खा जाइए 【हास्य हिंदी गजल/गीतिका
नाम बहुत हैं फ़ेहरिस्त में नाम बदल सकता हूँ मैं,
माँ की कहानी बेटी की ज़ुबानी
आंखों में खो गए, हर पल सा मिला,
औरतें आधुनिकता का हवाला देकर कुछ दिखावा करती है।
म्है बाळक अणजांण, डोरी थ्हारे हाथ में।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
प्रदूषण
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
Everyone enjoys being acknowledged and appreciated. Sometime
बना रही थी संवेदनशील मुझे
सितम गुलों का न झेला जाएगा
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
" पाती जो है प्रीत की "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
रेत मुट्ठी से फिसलता क्यूं है
ये घड़ी की टिक-टिक को मामूली ना समझो साहब