यूं ही नहीं समेटे रखी तेरी यादों को अपने सिरहाने तले मेरी जा

यूं ही नहीं समेटे रखी तेरी यादों को अपने सिरहाने तले मेरी जान
ये आज भी आंखे नम होने पर मुझे चुप कराया करती हैं
मेरे अपने विचार
यूं ही नहीं समेटे रखी तेरी यादों को अपने सिरहाने तले मेरी जान
ये आज भी आंखे नम होने पर मुझे चुप कराया करती हैं
मेरे अपने विचार