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11 Jun 2023 · 1 min read

साथ अपनों का छूटता गया

साथ अपनों का कुछ ऐसे छूटता गया
बातों का सिलसिला जब धीरे-धीरे खत्म होता गया
खुशियों की गलियों में भी सन्नाटा छाता गया
एक वक़्त ऐसा आया फ़िर…,
कि सामने से गुज़रकर भी
एक दूसरे का हाल पूछना भी बंद हो गया।

— सुमन मीना (अदिति)
लेखिका एवं साहित्यकार

2 Likes · 361 Views
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