जीवन है बस आँखों की पूँजी
*भंडारे की पूड़ियॉं, हलवे का मधु स्वाद (कुंडलिया)*
सफलता मिलना कब पक्का हो जाता है।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
इस मक़ाम पे बदल ना जाना मेरे दोस्त!
तू दूरबीन से न कभी ढूँढ ख़ामियाँ
चँदा मामा नहीं दूर के
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
- मेरे अल्फाजो की दुनिया में -
An eyeopening revolutionary poem )क्यूँ दी कुर्बानी?)
हमराही
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
जग मग दीप जले अगल-बगल में आई आज दिवाली
मेरा मोल मेरे दुश्मन ने ही जाना है कि।
झकझोरती दरिंदगी
Dr. Harvinder Singh Bakshi
नींव_ही_कमजोर_पड़_रही_है_गृहस्थी_की___