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19 Feb 2024 · 1 min read

दीवाना

किसी हसरत की तू मंज़िल कोई तेरा दीवाना है
मगर खामोश वो है कि मोहब्बत का फ़साना है।

हिज़्र के साज़ पर हर पल मिलन के गीत गाता है
जहां की रंजिशों से दूर उसका आशियाना है।

वो एक जुगनू चमकता है सितारों की इबादत में
अंधेरों में उसे अपना मुकद्दर आजमाना है।

तेरे दीदार के क़ाबिल नही समझा कभी खुद को
मगर उसकी नजर की हर दुआ में तेरा ठिकाना है।

-देवेन्द्र प्रताप वर्मा”विनीत”

Language: Hindi
88 Views
Books from देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
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