ठण्ड को भी लग रही है आजकल बहुत ठण्ड,
ठण्ड को भी लग रही है आजकल बहुत ठण्ड,
पोष माह की ठण्ड भी हो गयी आजकल प्रचंड।
हो गयी आजकल प्रचंड मंगवा दो भाई रजाई,
दुबके रहे सभी इसमें आजकल इसमें हीं भलाई,
कह श्लोक उमंग किसी को कोई दंड,
रजाई से निकालकर,नहला दो उसको इसी ठंड।।
श्लोक उमंग ✍️✍️✍️✍️✍️✍️