यदि मेरी चाहत पे हकीकत का, इतना ही असर होता
बिना वजह जब हो ख़ुशी, दुवा करे प्रिय नेक।
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मिट जाए हर फ़र्क जब अज़ल और हयात में
दिल के इस दर्द को तुझसे कैसे वया करु मैं खुदा ।
मिलेंगे इक रोज तसल्ली से हम दोनों
कविता- "हम न तो कभी हमसफ़र थे"
नवरात्रि के चौथे दिन देवी दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा
समय आया है पितृपक्ष का, पुण्य स्मरण कर लें।