मिथिला से पलायन बनाम आर्थिक उन्नति।
मिथिला से पलायन बनाम आर्थिक उन्नति।
-आचार्य रामानंद मंडल।
आइ कालि मिथिला के आर्थिक विकास मे मैथिल के पलायन के बाधक मानल जाइ छै।अइ के समुचित जानय के लेल मिथिला के अतीत काल के विकास पर चर्चा करनाई आवश्यक हय। मिथिला भारतवर्ष के एगो कंगाल भूभाग पायल जाइत हय। पहिले दरभंगा के भिखमंगा जिला लोग कहैत रहल हय। जौं कि मिथिला राज के राज के राजधानी रहय। इंहा तक कि मिथिला राज दरभंगा राज सेहो बन गेल। मिथिला मे पटसन उद्योग,कागज उद्योग, चीनी उद्योग मुख्य रूप से रहय।एकरा अलाबे माछ,पान आ मखाना सेहो आय के साधन रहय।परंच अइ से मिथिला के समुचित विकास न भेल। मिथिला के लोग अत्यधिक गरीब रहय।खास क के अतिवृष्टि आ अनावृष्टि से तबाह रहय। मिथिला के अल्पलोग मिथिला से पलायन करे आ खुश रहय।शेष जे जमींदार रहय वो खुशहाल रहय। जे लोग जमींदार के आगे -पीछे रहय वो निमन रसय। अत्यधिक लोग दुखी आ कंगाल आ गुलाम रहय। आजादी के बाद लगभग अस्सी के दशक तक हरबाही प्रथा रहय।
गंगा पर पुल बनला के बाद मिथिला मे विकास का नया अध्याय शुरू भेल। ज्यादा से ज्यादा लोग मिथिला से पलायन करे लागल। लोग बंगाल कि अरबियन देश तक पलायन क गेल।आ मिथिला विकास के सीढ़ी पर उतरोतर चढ रहल हय।आब मिथिला के गांव मे फूस आ भित्ति के घर दिखाई न दे रहल हय। मिथिला के हांसिया पर के समाज के व्यक्ति सरकारी उच्च पद पर पदासीन देखल जा रहल हय। मिथिला के हरबाह,चरबाह आबि देखय में न आबैय हय। सरकारी विद्यालय छात्र आ अध्यापक से भरल लगैय हय।फुस के विद्यालय आबि अट्टालिका बन गेल हय।एतबे न गाम जवार में सेहो प्राइवेट स्कूल बन गेल हय।हासिया के बच्चा प्राइवेट स्कूल मे पढ रहल हय।कपरा लत्ता आ भोजन के केकरो दीक्कत न हय।सभ में आत्मसम्मान आ आत्मबल से पूर्ण भेल हय।
मिथिला के आधुनिक आ विकास पलायन से संभव भेल हय। आदिम युग के पलायन से आधुनिक युग के निर्माण संभव हय। मिथिला से पलायन मिथिला के उन्नति मे सहायक हय।
-आचार्य रामानंद मंडल सीतामढ़ी।