गाँव की लड़की
कई बरस के बाद मिले हैं सब कुछ बदला-बदला है
फिर भी तुम को चाह रहा दिल देखो कितना पगला है
सूरत तेरी भुला गए पर दिल ने दिल को पहचाना
याद है तुमको वर्षों पहले तेरा था एक दीवाना
वो मस्ती और हँसी मजाक , वो तेरा गुस्सा होना
मेरे बिल्ली कहने से ,तेरा वो छुप – छुपकर रोना
कैसे भूल गई हो सबकुछ , क्या है सारी यादें धुली हुई
क्यों न है अब लब पर तेरे , दिल की बातें खुली हुई
वो तेरा मामा से डरना छुपकर मस्ती करना
मेरे कुछ कह जाने भर से , तेरा सहज बिखरना
तुमने तो मेरे पापा से की थी मेरी शिकायत
और तुम्हारे इस हरकत पे आई और मुहब्बत
अब क्यों इतनी बेरुख सी हो , क्या कोई और भी अगला है
कई बरस के बाद मिले हैं सब कुछ बदला-बदला है
फिर भी तुम को चाह रहा दिल देखो कितना पगला है
शायद अब तुम थोड़ी सयानी और हुई कचनार
रब ने सुन्दरता की दे दी तुझको है उपहार
और इसी से इतराती हो , नजरें नहीं मिलाती
कैसे कहूँ तुम्हारी बेरुखी कितना मुझे जलाती
अरी ओ पगली ये तो सबको मैं हूँ पवन आवारा
और तुम्हारे इस नखरे ने दिल में जख्म संवारा
अगर जरा तुम्हें चूम लिया तो क्या नुकसान ही होगा
देखो गोरी इस बसंत से तेरा रूप और निखरेगा
मेरा वेग भी थोड़ा मध्यम और सुकूँ पाएगा
अपना लक्ष्य प्राप्त करने में थोड़ा जूनूँ पाएगा
इसके तेरा कुछ बिगड़े तो दूरी है स्वीकार
बस नजरों से ये बतला दो कि तुझको भी है प्यार
तेरे यौवन के बगिया में शायद , खुदा भी आकर टहला है
कई बरस के बाद मिले हैं सब कुछ बदला-बदला है
फिर भी तुम को चाह रहा दिल देखो कितना पगला है