आखिर वो तो जीते हैं जीवन, फिर क्यों नहीं खुश हम जीवन से
जाने कितनी बार गढ़ी मूर्ति तेरी
मातु शारदे करो कल्याण....
मैंने कभी कुछ नहीं मांगा तुमसे
गुरुवर
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
हम बदल गये
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
पुरबी के जनक 'महेंद्र मिश्र
मैं नारी, सर्वशक्तिशाली हूँ।
रौनक़े कम नहीं हैं दुनिया में ,
खुद को साधारण आदमी मानना भी एक ताकत है । ऐसा आदमी असाधारणता
मेरा ग़म
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
गरीबी
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
अब बेटियां भी हर दिशा में
जो लोग धन को ही जीवन का उद्देश्य समझ बैठे है उनके जीवन का भो