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21 Mar 2024 · 1 min read

मैं उसकी निग़हबानी का ऐसा शिकार हूँ

मैं उसकी निग़हबानी का ऐसा शिकार हूँ
बरसों से रिहाई के लिए तलबग़ार हूँ

वो मुझसे निभाता है दुश्मनी बस इसलिए
मैं अपने आप की क्यूँ इतनी तरफ़दार हूँ

कहता है वो कि मैं नहीं क़ाबिल हूँ प्यार के
दामन मेरा नापाक़ है,मैं दाग़दार हूँ

अश्कों का दरीचा सा बना रखा है दिल में
रोती मैं उसमें बैठ के अब ज़ार – ज़ार हूँ

जिसकी खताएं क़ाबिल-ए-माफ़ी नहीं,वही
कहता फिरे है लोगों से, मैं गुनाहगार हूँ

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