Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
6 Apr 2024 · 1 min read

*अध्याय 10*

अध्याय 10
सुंदरलाल जी का देहावसान

दोहा

महापुरुष का संग ही, करता है उद्धार
धन्य-धन्य जिसको मिला, इस निधि का भंडार

1)
इस भॉंति बना सात्विक बालक जो राम प्रकाश कहाया
उसको सुंदर लाल तत्व चर्चा ने गुणी बनाया
2)
महापुरुष का संग सिर्फ इस माया से तरता है
जैसा साथ मिलेगा वैसा ही मन पग धरता है
3)
सुंदरलाल सत्य के पथ पर राम प्रकाश बढ़ाते
परम प्रेम की अक्षय पूॅंजी नित उसको दे जाते
4)
कहो कौन इस सागर जैसी माया को तर पाया
केवल राम प्रकाश संग जो सुंदर लाल कहाया
5)
सदा जगत में दुर्लभ है आत्मा महान को पाना
जीवन के अनमोल वर्ष बहु उनके संग बिताना
6)
संचित पुण्यों के बल पर यह सुंदर संग मिला था
पाकर राम प्रकाश हृदय का निर्मल कमल खिला था
7)
रिक्त कामना से थे सुंदरलाल मुक्त कहलाए
जैसे थे रचयिता सुगढ़ रचना भी वह गढ़ पाए
8)
देकर परम प्रेम की पूॅंजी सुंदरलाल सिधारे
यह था अमृतमयी प्रेम जो हारे कभी न हारे
9)
परम प्रेम जो देता जग में मुक्त लोक पाता है
आवागमन रहित हो जग में नहीं पुनः आता है
10)
परम प्रेम से भरी आत्मा को जो याद करेगा
हृदय शुद्ध होगा उसका निर्मल वह भाव भरेगा
11)
अमृत स्वरूप यह परम प्रेममय सुंदरलाल कहाते
उन्हें स्मरण करने से ही जन वैसे हो जाते

दोहा

महापुरुष मरते नहीं, रहती उनकी याद
उनकी आभा कीर्ति यश, करते हैं संवाद
__________________________________________________

Loading...