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17 May 2024 · 1 min read

अरे योगी तूने क्या किया ?

अरे योगी तूने क्या किया ?

_________________________

अरे योगी तूने बड़ा ज़ुल्म किया

हर लिया ताज सिंहासन का,

मग में मगरूर नृप अभिमानी

समझ रहे थे जिसे विरासत

आने वाली पीढ़ी का।

जब राजाजी विराजे सिंहासन

गलियाँ दुल्हन-सी सजती थी

जन्मदिन का हो दावत

या हो लालन की छठी

अरबों की बोली लगती थी।

लूट, हत्या, शोषण और डकैती

हर दिन टक्कर में लगती थी

दुराचार अन्याय अनीति

कौआ चुन-चुन खाता मोती

जनता भुखी सोती थी।

ज़ख्मों की मारी तख्त बेचारी

जब तक थी गिद्धों की प्यारी

गिन रही थी सांसे हर दिन

तड़प-तड़प के साज़िशों और

बंदिशों के दोहन से।

तू लड़ा ज़माने से भी जमकर

झोंक दिया सर्वस्व अपना

हुए बहुत बदनाम फिर भी

जीत रहे हर बाजी

राम नाम के नारों से।

काशी, मथुरा घर की बातें

हर लिया नींद पड़ोसी का ।

जग में परचम लहराया जैसे

संरक्षण आरक्षण हर लो

महादेव के नारों से।

जनता तो हरदम से अपने

क़िस्मत का ही खाती है

किस्मत पर की काली रेखा

वर्ग विशेष की अब चमकी है

अपनी मेहनत की रोटी से।

अरे योगी तूने बड़ा ज़ुल्म किया!

न सोंचा राजकुमारों का

जिनकी नैया मझधार खड़ी

लोकतंत्र का राजमहल मंदिर

सदृश्य बना डाला ।।
मुक्ता रश्मि
मुजफ्फरपुर, बिहार
__________________

Language: Hindi
169 Views
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