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17 Apr 2024 · 1 min read

"उदास सांझ"

“उदास सांझ”
जागी-जागी कभी सोई-सोई
पास खड़ी वह खोई-खोई
चाहे दुनिया कुछ भी कह ले
वेदना न होती बांझ,
समय के दरवाजे पर ठिठकी हुई
वह उदास सांझ।

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