भाग्य
कुण्डलिया
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आते भाग्य लिए दुनिया में, हम सब अपने साथ।
लेकिन फिर भी बहुत कुछ, होता अपने हाथ।
होता अपने हाथ, कर्म पथ को अपनाएं।
साथ लिए प्रारब्ध, नित्य बढ़ते ही जाएं।
कहते वैद्य सुरेन्द्र, साहसी जो बन जाते।
उनकी राह अनेक, स्वयं अवसर नव आते।
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उन का ही रौशन सदा, होता है भवितव्य।
जो सच्चे मन से सदा, पूर्ण करें कर्तव्य।
पूर्ण करें करें कर्तव्य, सत्य की राह पर चले।
छोड़ें फल का मोह, समय पर वृक्ष भी फले।
कहते वैद्य सुरेन्द्र, तजें हर संशय मन का।
बनते शुभ संयोग, साथ देते सब उन का।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य