Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Feb 2024 · 1 min read

अस्त हुआ रवि वीत राग का /

पूज्य गुरुदेव आचार्य विद्यासागर जी महाराज के परिनिर्वाण पर
प्रस्तुत हैं ग़ज़ल के भाव में कुछ श्रद्धा-शब्द-सुमन ।

:: अस्त हुआ रवि वीतराग का ::
________________________

अस्त हुआ रवि वीतराग का ।
विश्व-विकीर्णित क्रांति आग का ।

करुणा भरे अलाप, स्मृति में,
मानवता की मधुर फाग का ।

मूक बनी देखे यह माटी,
खेल चिता की तीव्र आग का ।

बंद हुआ कुछ क्षण भारत में,
खेल द्वेष का और राग का ।

कज्जल गिरि चढ़ गया बाँकुरा,
नहीं बिन्दु भी जरा दाग का ।

छोड़ चिह्न पग गया अनूठे,
चलित-तीर्थ अनुपम प्रयाग का ।

०००
— ईश्वर दयाल गोस्वामी ।

Language: Hindi
3 Likes · 262 Views
Books from ईश्वर दयाल गोस्वामी
View all

You may also like these posts

कविता कविता दिखती है
कविता कविता दिखती है
महेश चन्द्र त्रिपाठी
उसने  कहा जो कुछ  तो   पहले वो
उसने कहा जो कुछ तो पहले वो
shabina. Naaz
जब तक हो तन में प्राण
जब तक हो तन में प्राण
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
हर रोज़ सोचता हूं यूं तुम्हें आवाज़ दूं,
हर रोज़ सोचता हूं यूं तुम्हें आवाज़ दूं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सहसा यूं अचानक आंधियां उठती तो हैं अविरत,
सहसा यूं अचानक आंधियां उठती तो हैं अविरत,
Abhishek Soni
कहो उस प्रभात से उद्गम तुम्हारा जिसने रचा
कहो उस प्रभात से उद्गम तुम्हारा जिसने रचा
©️ दामिनी नारायण सिंह
जीवन
जीवन
Neelam Sharma
सवाल यह है
सवाल यह है
gurudeenverma198
हिंदी
हिंदी
Dr.Archannaa Mishraa
अर्जुन सा तू तीर रख, कुंती जैसी पीर।
अर्जुन सा तू तीर रख, कुंती जैसी पीर।
Suryakant Dwivedi
*झरता अमृत विशेष है, शरद पूर्णिमा रात (कुंडलिया)*
*झरता अमृत विशेष है, शरद पूर्णिमा रात (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
जो उसने दर्द झेला जानता है।
जो उसने दर्द झेला जानता है।
सत्य कुमार प्रेमी
रोना भी जरूरी है
रोना भी जरूरी है
Surinder blackpen
3251.*पूर्णिका*
3251.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नव वर्ष हमारे आए हैं
नव वर्ष हमारे आए हैं
Er.Navaneet R Shandily
दुआए
दुआए
Shutisha Rajput
अर्थ संग हावी हुआ,
अर्थ संग हावी हुआ,
sushil sarna
कलियुग है
कलियुग है
Sanjay ' शून्य'
.
.
*प्रणय*
जिंदगी हमेशा इम्तिहानों से भरा सफर है,
जिंदगी हमेशा इम्तिहानों से भरा सफर है,
Mamta Gupta
खून पसीने में हो कर तर बैठ गया
खून पसीने में हो कर तर बैठ गया
अरशद रसूल बदायूंनी
कहीं तो ...
कहीं तो ...
sushil yadav
मैं भविष्य की चिंता में अपना वर्तमान नष्ट नहीं करता क्योंकि
मैं भविष्य की चिंता में अपना वर्तमान नष्ट नहीं करता क्योंकि
Rj Anand Prajapati
अंतरद्वंद
अंतरद्वंद
Happy sunshine Soni
"महामंत्र है स्वच्छता"
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
सत्याधार का अवसान
सत्याधार का अवसान
Shyam Sundar Subramanian
मां तुम बहुत याद आती हो
मां तुम बहुत याद आती हो
Mukesh Kumar Sonkar
" मुसाफिर "
Dr. Kishan tandon kranti
जनरल नॉलेज
जनरल नॉलेज
कवि आलम सिंह गुर्जर
जिंदगी के तूफ़ानों की प्रवाह ना कर
जिंदगी के तूफ़ानों की प्रवाह ना कर
VINOD CHAUHAN
Loading...