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13 Sep 2021 · 1 min read

#ग़ज़ल

19- बहरे रमल मुसद्दस मख़बून मुसककन
फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन
2122/1122/22

दिल लिए आज़िम बढ़ता जाए
हर क़दम फ़ाज़िल चढ़ता जाए//1

शूल भी फूल लगें राहों के
वो हमेशा हँस चलता जाए//2

आरज़ू हासिल होगी उसको
रूह के आलम रचता जाए//3

तिश्नगी साहिल पाएगी ही
दिल लिए आतिश जलता जाए//4

शोर कम सोच अधिक हो जिसकी
आदमी आलिम बनता जाए//5

यार जो सीख गया मोहब्बत
नूर में हरपल ढ़लता जाए//6

शेर लिख दाद मिले हरदिल की
प्यार ‘प्रीतम’ दिल भरता जाए//7

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