#ग़ज़ल
19- बहरे रमल मुसद्दस मख़बून मुसककन
फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन
2122/1122/22
दिल लिए आज़िम बढ़ता जाए
हर क़दम फ़ाज़िल चढ़ता जाए//1
शूल भी फूल लगें राहों के
वो हमेशा हँस चलता जाए//2
आरज़ू हासिल होगी उसको
रूह के आलम रचता जाए//3
तिश्नगी साहिल पाएगी ही
दिल लिए आतिश जलता जाए//4
शोर कम सोच अधिक हो जिसकी
आदमी आलिम बनता जाए//5
यार जो सीख गया मोहब्बत
नूर में हरपल ढ़लता जाए//6
शेर लिख दाद मिले हरदिल की
प्यार ‘प्रीतम’ दिल भरता जाए//7