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21 Nov 2018 · 1 min read

मुश्किल है तुम्हें अपने इस दिल से भुला देना

मुश्किल है तुम्हें अपने इस दिल से भुला देना
यादों के गले लगकर आँसू को दगा देना

आसान नहीं जीवन,चुभते हैं बहुत काँटे
तुम प्यार के मरहम से कुछ दर्द मिटा देना

तुम छोड़ नहीं देना विश्वास का ये दामन
यूँ मेरी वफाओं को तुम अपनी वफ़ा देना

बस याद हमें करना, कोई भी जरूरत हो
संकोच का हर पर्दा तुम दिल से हटा देना

इज़हार मुहब्बत का यदि कर नहीं पाओ तो
तुम देख हमें अपनी बस पलकें झुका देना

बीमार मुहब्बत के तो लाखों जमाने में
गर वैद्य भी हो कोई तो उसका पता देना

कुछ कर्ज़ हैं साँसों के जो बढ़ते चले जाते
होता ही नहीं मुमकिन हर कर्ज़ चुका देना

माँ बाप हमारे ही भगवान से हैं बढ़कर
कर ‘अर्चना’ उनकी घर मन्दिर सा बना देना

21-11-2018
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

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