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20 May 2024 · 1 min read

खिङकियां

खिड़कियाँ

मेरी ख्वाहिशों की
खिड़कियों पर
बयार बासंती
दस्तक देती है
सुनहरी धूप की स्याही
किस्सों की बयानी करती है
कुछ सपनो के बीज
जो छूटे थे
कही किसी पगडंडी पर
आज वो इक रूप नया
अख्तियार करते है
मुलाकात करते है
कभी मुझसे बात करते है
मेरे मन के मौसम मे
रंग फागुनी घोल कर
ज़िंदगी गुलज़ार करते हैं

Language: Hindi
24 Views
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