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18 Dec 2023 · 4 min read

*मूलत: आध्यात्मिक व्यक्तित्व श्री जितेंद्र कमल आनंद जी*

मूलत: आध्यात्मिक व्यक्तित्व श्री जितेंद्र कमल आनंद जी
____________________________
कहते हैं गुरुजी जिन्हें, श्री जितेंद्र आनंद
नाम कमल है मध्य में, मधु मुस्कान अमंद
मधु मुस्कान अमंद, छंद के भेद सिखाते
आध्यात्मिक शुचि काव्य, संगठन भव्य चलाते
कहते रवि कविराय, आम जन जैसे रहते
परम लक्ष्य का ज्ञान, बॉंटकर सबसे कहते

जितेंद्र कमल आनंद जी एक सज्जन और सरल हृदय व्यक्ति हैं। आध्यात्मिकता के मूल में जिस निश्छलता का होना अनिवार्य होता है, वह रस उन में लबालब भरा है। वार्तालाप में कहीं कोई छल-कपट उनके भीतर दिखाई नहीं देता। यहॉं तक कि मैंने इस बात को भी नोट किया कि सोशल मीडिया पर यदा-कदा कुछ वार्तालाप में उलट-फेर भी किसी के साथ हो जाए तो भी जितेंद्र कमल आनंद जी कोई कटुता अपने भीतर नहीं रखते हैं। उनका सहज स्वभाव भीतर से आनंदमग्न बने रहने का है और उस आनंद की अलौकिक अनुभूति को उन्होंने सांसारिकता के स्पर्श से कभी मलिन नहीं होने दिया।

मेरा परिचय यद्यपि पहले भी रहा है लेकिन सोशल मीडिया पर जब से व्हाट्सएप और फेसबुक का नया दौर शुरू हुआ, जितेंद्र कमल आनंद जी से संपर्क गहराई से आया। आपकी संस्था ‘आध्यात्मिक साहित्यिक काव्यधारा’ वैसे तो अनेक दशकों से कार्यरत रही लेकिन इधर आकर मोबाइल के माध्यम से कुछ वर्षों से इसकी व्यापकता बहुत गहरी हो गई। केवल साहित्य-सृजन जितेंद्र जी की मंजिल नहीं है। वह आध्यात्मिकता के आधार पर ही साहित्य के सृजन में विश्वास करते हैं। अध्यात्म उनकी पूॅंजी है। अध्यात्म उनका पथ है और आध्यात्मिकता का प्रेम-पथिक बनकर संसार-भर में प्रेम बॉंटना उनका स्वभाव है। इस स्वभाव को प्रसारित करने के लिए उन्होंने साहित्य का मार्ग चुना।

एक गुरु के रूप में न जाने कितने ही साधकों को उन्होंने साहित्य सृजन की बारीकियॉं उपलब्ध कराईं। छंदों के नितांत नए संसार से उनका परिचय कराया। जहॉं जिसकी जो गलती उन्हें नजर आती है, वह अहंकार-शून्य होकर उस त्रुटि को इंगित कर देते हैं। उनका उद्देश्य अपने पांडित्य का प्रदर्शन करना नहीं अपितु दूसरों को अधिकाधिक तेजस्विता प्रदान करना रहता है।

इस समय आपकी आयु बहत्तर वर्ष से अधिक है। लेकिन आप रिटायर नहीं हैं । सेवाकाल की तुलना में कहीं अधिक सक्रिय हैं। विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, सिविल लाइंस, रामपुर के प्रधानाचार्य के रूप में आपने अवकाश ग्रहण किया था। अतः एक अध्यापक के रूप में जो ज्ञान प्रदान करने की दृष्टि और शैली होनी चाहिए वह आपके भीतर कूट-कूट कर बसी है। भारत के विभिन्न प्रांतो के अनेक नगरों और महानगरों के प्रतिभाशाली साहित्यकार आपकी शिष्य मंडली में शामिल हैं ।

बहुत पहले कविवर सुरेश अधीर जी अपनी कोई पुस्तक भेंट करने के लिए मेरे पास दुकान पर आए थे। उनके साथ जितेंद्र कमल आनंद जी भी थे। दोनों महानुभाव कम बोलते हैं और धीमे बोलते हैं। अतः मेरे स्वभाव से उनका स्वभाव मेल खाया और मन ही मन मैं उन दोनों का प्रशंसक बन गया। जितेंद्र कमल आनंद जी के सहयोगी सुरेश अधीर जी अवश्य रहे लेकिन नई तकनीक के दौर में आधुनिक परिदृश्य के साथ सामंजस्य बिठाने के मामले में जितेंद्र कमल आनंद जी ने भरपूर दिलचस्पी ली और व्हाट्सएप समूह के माध्यम से वह साहित्यिक परिदृश्य पर छा गए। काव्य गोष्ठियों के आयोजन ने उनकी संगठनात्मक क्षमता को उजागर किया। सीमित संसाधनों में बड़े-बड़े आयोजनों को सफलतापूर्वक कर देने की कला उन्हें आती है। काव्य के मंच पर जो छंद वह प्रस्तुत करते हैं, उन सब में उनका सरल आध्यात्मिक हृदय प्रकट होता है।

आपका जन्म 5 अगस्त 1951 को बरेली में हुआ लेकिन रामपुर आपकी कार्यस्थली है। अनेक पुस्तकों के माध्यम से आपने अपने भीतर की आध्यात्मिक चेतना को स्वर दिया है। वर्ष जुलाई 2023 में प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘मधुशाला हाला प्याला’ में आपके यही आध्यात्मिक उद्गार प्रकट हुए हैं। आपने लिखा है:-

षट्-चक्रों को जागृत करना
होगा सहज कमल तुमको
पर्वत-पर्वत चढ़ते जाना
होगा सबल सरल तुमको
परम लक्ष्य जो सर्वोपरि है
परम लक्ष्य को पा सकते
मिलने पर निर्वाण सफल यह-
मधुशाला हाला प्याला
(पृष्ठ 34)

एक अन्य स्थान पर इसी पुस्तक में गुरुदेव से प्राप्त आध्यात्मिक ज्योति को सब मनुष्यों के हृदयों में प्रकाशित करने की उनकी उत्तम अभिलाषा निम्नलिखित छंद में प्रकट हुई है:-

ज्ञान-क्षुधा लगने पर पी लें
गुरुवर ने जो दी हाला
क्षुधा मिटेगी उसको पीकर
मंत्रों की जप लें माला
आत्म-तत्त्व का परिष्कार भी
तुमको करना ही होगा
श्रेष्ठ मनुजता जागृत होगी
पीकर यह मधुमय प्याला
(पृष्ठ 26)

कुल मिलाकर जितेंद्र कमल आनंद जी हमारे समाज के एक ऐसे शिखर हैं, जिनकी उपस्थिति व्यक्ति को निरंतर आत्मोन्नति के पथ पर अग्रसर होने में सहायक सिद्ध होती है। ईश्वर से कामना है कि हमें सौ वर्ष तक कविवर का आध्यात्मिक और सामाजिक मार्गदर्शन मिलता रहे।
————————————–
लेखक: रवि प्रकाश पुत्र श्री राम प्रकाश सर्राफ, बाजार सर्राफा, (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश 244901
मोबाइल 9997615451

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