आज इस सूने हृदय में….
आज इस सूने हृदय में,
याद बस तेरी मचलती।
सोच हावी हो रिदय पर,
भाव हर कोमल कुचलती।
तुम हमारे कुछ नहीं, पर
याद आते हो सतत क्यों ?
सुन तुम्हारी मुश्किलों को
रह न पाते हम विरत क्यों ?
वेदना में देख तुमको,
क्यों नयन से पीर झरती ?
कलप उठतीं भावनाएँ,
वासना के चीर हरती।
क्यों हमें ये लग रहा है,
न अब कभी मिल पाएँगे।
नेह के वो पुष्प मन में,
न अब कभी खिल पाएँगे।
तुम हमें चाहो न चाहो,
दिल तुम्हें हम दे चुके हैं।
चाहना में घुल तुम्हारी,
हम तुम्हारे हो चुके है।
दुआ नित दिल से निकलती,
रहो सुखी संपन्न सदा।
कौन जाने भाग्य में पर,
क्या लिखा है, क्या बदा।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद