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15 Sep 2024 · 1 min read

होली में संग हो ली

हे री सखी तू होली के दिन पिया के संग हो ली ।
पहले तू थी भोली भाली अब हो गई बड़बोली ।।
पिया ने तेरे मुख पर मल दी ऐसी लाल गुलाल ।
तेरा मुखड़ा इतना निखरा लाल हो गए तेरे गाल ।।
पिया के रंग में ऐसी रंग गई भूल गई तू सहेली ।
होली का रंग ऐसा छाया तू बन गई एक पहेली ।।
ओम ढ़्ंँढ रहे अपनी प्रिया को आज खेलने होली
प्रियतम मेरे कहां ढ़्ंँढ रहे पास खड़ी वो बोली ।।

ओमप्रकाश भारती ओम्
बालाघाट, मध्यप्रदेश

Language: Hindi
85 Views
Books from ओमप्रकाश भारती *ओम्*
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