सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' Language: Hindi 30 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 24 Mar 2024 · 1 min read बुरा न मानो, होली है! जोगीरा सा रा रा रा रा.... आम आदमी कहते रहते, कट्टर हम सरकार। कट्टर निकले आम आदमी, दारू ठेकेदार।१। जोगीरा सा रा रा रा रा.......... बहुत मिले हैं नेताजी को, कड़के वाले नोट। अबकी तो हम... Hindi · कविता · जोगीरा · व्यंग्य · होली 83 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 28 Jan 2024 · 1 min read *मूर्तिकार के अमूर्त भाव जब, मूर्तिकार के अमूर्त भाव जब, सफल-सुघड़-मूर्तिमान हुए। भासमान उस कृष्णशिला में तब, सहज स्वयं भगवान हुए ! -ऋतुपर्ण Hindi 119 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 21 Jan 2024 · 1 min read अयोध्या हो रहा है प्रात सरयू-तट नया, सूर्य से आकाश देखो सज गया। दिशाएं कर दी विजय की घोषणा, मिट गईं होंगी भरत की वेदना! छिप गए तम और तम के... Hindi 1 143 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 7 Sep 2023 · 1 min read प्रार्थना श्री कृष्ण ऐसा ज्ञान दो, मेरी पृथक पहचान हो। धुन वेणु की कोई सुभग, भर दो सहज कर दो अलग। धुन सुन हुलस यह मन उठे, पुलकित हृदय क्षण-क्षण उठे... Hindi · कविता · कृष्ण · जन्माष्टमी 161 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 15 Aug 2023 · 1 min read भूमि भव्य यह भारत है! ---- ------ -------- ----- भूमि भव्य वह भारत है, जो चिंतन-मंथन में रत है। भूमि भव्य यह भारत है। सभ्यताओं ने नेत्र खोले, सीखने लगे लिपि औ' भाषा। हमने तब... Hindi · कविता · देश गीत 1 295 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 7 Aug 2023 · 1 min read सुनी चेतना की नहीं, सुनी चेतना की नहीं, जिसने कभी पुकार। उसके द्वारे ही सदा, खटकता है विकार।। मानस होता है बड़ा, चिंतनशील, अशांत। उलझा हुआ विचार में, व्यथित,थकित,उद्भ्रात।। मन सदा यह दौड़ता, करता... Hindi · Quote Writer · कविता · दोहा 1 235 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 30 Jun 2023 · 1 min read हरे! उन्मादिनी कोई हृदय में तान भर देना। हरे! उन्मादिनी कोई हृदय में तान भर देना। सहज दुहरा सकूँ ऐसा मधुरतम गान भर देना। उठे जब तान मुरली की मुदित मन चल पड़े गोधन, कन्हैया प्राण में ऐसे... Hindi · कविता · भक्ति · मुक्तक 153 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 12 Jun 2023 · 1 min read बहरूपिया मन (१२२२*४) रहे ना साथ जब छाया, चले तब संग सूनापन। कुतर्कों की हृदय में बस करे घण्टी झनन-झन-झन। लगे जब प्रश्न चिंतन के सु-द्वन्दों का मुकुट गढ़ने, तभी तो बैठ... Hindi · ग़ज़ल 93 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 25 Mar 2023 · 1 min read प्रेम और विश्वास की पराकाष्ठा जीवन में एक पड़ाव ऐसा भी आता है जब आपको लगता है कि कोई समुद्री कल्लोल जैसे आपके समस्त स्वप्नों से लदे नाव को बीच मझधार में डुबोना चाहता है... Hindi · कोटेशन · लेख 134 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 21 Dec 2022 · 1 min read हनुमानजी बसता जिनका राम में,सदा-सदा ही प्राण। ऐसे दिव्य महात्मा, महावीर हनुमान।१। भजते आठो याम ही,राम-सिया अरु राम। जीवन का बस ध्येय यह,रखते वे निष्काम।२। राम पादुका ले चले,भाई भरत महान।... Hindi · दोहा 3 2 223 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 8 Nov 2022 · 1 min read आज बच्चों के हथेली पर किलकते फोन हैं। आज बच्चों के हथेली पर किलकते फोन हैं। बेधड़क ही दे रहे माता -पिता वे कौन हैं? कौन है जो दे रहे परिणाम कुछ सोचे बिना? सौंप देते हैं हरे... Hindi · कविता 2 210 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 8 Nov 2022 · 1 min read जीवन जीवन का तो अर्थ आनंद है, व्रण है। सुख-दुःख का सतत अनियंत्रित घूर्णन है। आशा-निराशा-युत दिन-रात का चढ़ना, कभी हर्ष और कभी विषाद का बढ़ना। भावनाएँ हैं क्षणिक व सहज... Hindi · कविता 2 3 245 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 30 Oct 2022 · 1 min read छठ पर्व हो गए नवीन सारे जीर्ण जलाशय-सरित औ' पोखर, ज्यों परम पावन हुए सभी,समग्र अपने पाप धोकर। सब हट गए शैवाल कुंभी जंजाल जल के बीच से, मुसक पड़ा मुरझा हुआ... Hindi · छठ पर्व 2 2 252 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 22 Jul 2022 · 1 min read आल्हा छन्द भारत माता की सेवा में,उद्यत हैं वे त्यागी वीर। सीमा पर तैनात खड़े हैं,यथा अडिग कोई प्राचीर।१। गर्मी-वर्षा-शीत किसी की,किए बिना किंचित परवाह। लक्ष-लक्ष बस एकलक्ष्य हो,करते हैं कर्तव्य-निबाह।२। क्षात्र... Hindi · कविता · देशभक्ति 1 350 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 5 Jun 2022 · 1 min read कुंडलिया निर्झर-सा गतिमान ही, होता उत्तम छन्द। पाठक गण के चित्त में,भर देता आनंद । भर देता आनंद ,सृजन में हो उत्तमता। छटता है तिमिरांध,उमड़ती है चेतनता । नव- रस की... Hindi · कुण्डलिया 1 1 233 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 5 Jun 2022 · 1 min read कुंडलिया कहती जाती अनवरत,जटिल समय की धार- "तिरता है प्रतिकूल जो ,वही उतरता पार। वही उतरता पार, धैर्य ना जिसका टूटा। रही फूलती श्वांस ,किन्तु साहस ना छूटा। जिसकी प्रेरक कथा,... Hindi · कुण्डलिया 1 2 137 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 5 Jun 2022 · 1 min read पर्यावरण संरक्षण (व्यंग्य) मंत्री जी की दिख पड़े,पेड़ लगाते चित्र। समझो बस पर्यावरण,संरक्षित ही मित्र।१। एक दिवस का जागरण,धरती का उद्धार। अन्य दिवस में काट कर,करें वृक्ष-उपकार।। उतरे महँगे कार से,देते सबको ज्ञान,... Hindi · कविता 4 2 207 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 27 May 2022 · 1 min read पर्यावरण संरक्षण जन-जन की हो कामना,स्वच्छ रहे परिवेश। रोगमुक्त निर्मल रहे, नगर, गाँव औ' देश। नगर ,गाँव औ' देश, रहित हो कूड़े- कर्कट। अमलिन बस्ती बसे,अमल हो घट-घट मरघट। मानव आँखों सजे,सुभग... Hindi · कुण्डलिया 245 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 15 Jan 2022 · 1 min read मानव चाह है आकाश जैसी असीमित, विशद,विस्तृत। क्षमताएं छुई-मुई सम संकुचित, भीत,लज्जित। आदर्श गिरि के शिखर इव मौन,प्रताड़ित, विगलित। मानस नदी की धार-सा उद्वेलित , निर्वासित ! ©सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' Hindi · कविता 3 2 252 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 6 Jan 2022 · 1 min read आज उसकी याद धुँधली हो गई! आज उसकी याद धुँधली हो गई, ऐनकों पे धूल जमती जो गई।१। आँसुओं ने आँख को ललकार दी, चोट मेरी और गहरी हो गई।२। काव्य में सब शब्द ही जागृत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 207 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 28 Oct 2021 · 1 min read सब मिटे हृदय के ताप हरे सब मिटे हृदय के ताप हरे! यह विषमय विस्मय-पाप हरे! सब वेद - वाङ्गमय , तंत्र - मंत्र, जादू- टोने होने न होने से क्या? अमोल क्षणिक-माणिक,मुद्रा,मोती पाने से अथवा... Hindi · कविता 2 2 205 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 2 Oct 2021 · 1 min read गीतिका मापनी: 2212 2212 2212 2212 पदांत: के लिए समांत: आने विशेषता: रूप मुखड़ा(हुस्ने मतला),पाँच युग्म ---------------------------------------------------------------- है उठ रही आवाज कुछ झकझोर जाने के लिए, हनुमान का हनुमान से परिचय... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 550 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 26 Sep 2021 · 1 min read सुप्रभात पवन मनचला हो चला,कदली पत्र झकोर। ज्यों गोपी के वसन को,ले भागे चितचोर।१। अरुण देश में वरुण-सा,खिल आया जलजात। कर्मयोग का कृष्ण ने,किया नव सूत्रपात।२। रक्तिम व्योम-वलक्ष,अरुण-रूप-रस-रंग से। दुःशासन का... Hindi · दोहा 1 2 279 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 26 Sep 2021 · 1 min read मुक्तक कभी हमको मिला करती करारी हार भी तीख़ी हमेशा हार में ही जीत भी रहती निहित दीखी वही बस जीतते जग के सभी दु:साध्य द्वन्दों में जिन्होंने हारकर बाज़ी कलाएँ... Hindi · मुक्तक 237 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 6 Jul 2021 · 1 min read हिंदी ग़ज़ल वो परिंदा, ये परिंदा, सब छला रह जायेगा, क्या बचा था,क्या बचा है,क्या भला रह जायेगा।१। एक दिन सारे ईमानों - धरम को भी बेचकर, आदमी अंदर से केवल खोखला... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 368 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 2 Jul 2021 · 1 min read हिंदी ग़ज़ल जिंदगी भर यूँ नहीं फरियाद रहने चाहिए मानवों के भी नए अपवाद रहने चाहिए। १। जो रहे हों अपरिमित शिकवे गिले सब आपसी, वे पुराने अब नहीं अवसाद रहने चाहिए... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 258 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 2 Jul 2021 · 1 min read मुख मोड़ूँ नहीं चाहे दुखों के तीर बेधो, या मेरे मग को ही रोधो। संग-संग तेरे चला चलूँ, छोड़ू नहीं छोडूं नहीं, हे देव ! मुख मोड़ूँ नहीं | हो अगम्य दुस्तर मार्ग... Hindi · कविता 1 221 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 1 Jul 2021 · 6 min read अपील शाम का प्रहर था।अभी सूरज का अस्ताचल गमन हुआ ही था,उसके उपरांत भी उसकी लोहित आभा अभी गाँव की धरती पर सुर्ख-झीना चादर ओढ़ाए थी। तभी यकायक गाय रंभाने लगी।हवेली... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 1 4 501 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 10 Sep 2019 · 1 min read दोहावली अब तक समझ सके न हम,मानवता का मर्म। क्यों न मूकदर्शक बने,सकल जगत औ' धर्म।१। मान जहाँ न सु-शील का,खल का हो अधिकार। संवर्धित होते वहाँ, कदाचार - अपकार।२। एक... Hindi · दोहा 3 1 327 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 9 Sep 2019 · 1 min read माहिया छन्द आंखों से झरती है मोती की लरियाँ जब प्रीत उमड़ती है ।१। प्रिय से संताप हुआ बेसुध - सी विरहण मांग रही प्रीत - दुआ ।२। बांधों ना दीवारें प्रिय!... Hindi · कविता 1 424 Share