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25 Mar 2023 · 1 min read

प्रेम और विश्वास की पराकाष्ठा

जीवन में एक पड़ाव ऐसा भी आता है जब आपको लगता है कि कोई समुद्री कल्लोल जैसे आपके समस्त स्वप्नों से लदे नाव को बीच मझधार में डुबोना चाहता है ;और समस्त परिस्थियाँ प्रतिकूल होकर उस विकट काल के ही पाले में खेल रही है।ऐसे विकटतम पहर में आपके आराध्य,परिजन और बंधुजन ही साधना के साधन बन जाते हैं।उन प्रतिकूल वेदनामय क्षण को पुनः जीने की इच्छा आपका उनके प्रति शिशु-सम,निःस्वार्थ व निर्भीक विश्वास का परिचय देती है।

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