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6 Jan 2022 · 1 min read

आज उसकी याद धुँधली हो गई!

आज उसकी याद धुँधली हो गई,
ऐनकों पे धूल जमती जो गई।१।

आँसुओं ने आँख को ललकार दी,
चोट मेरी और गहरी हो गई।२।

काव्य में सब शब्द ही जागृत दिखे,
शेष क्या सब कल्पनाएं सो गई।३।

खीझ कर हमने जो लिखनी छोड़ दी,
ये दिखी नव भावना फिर वो गई।४।

गाय को देखा ठिठुरते राह में,
गाय के पैसे हवा फिर हो गई।५।

स्वेत चद्दर में लिपटती लाश से,
रौनकें सारी शहर की खो गई।६।

©सत्यम प्रकाश ‘ऋतुपर्ण’

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