Shivkumar Bilagrami Tag: ग़ज़ल/गीतिका 52 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Shivkumar Bilagrami 25 Dec 2023 · 1 min read बच्चे दुधमुहें बच्चे कभी जब मुस्कुराते हैं ऐसा लगता है कोई दौलत लुटाते हैं दो बरस की उम्र में सीखे हैं इतराना बॉलीवुड के डांस पर ठुमका लगाते हैं कुछ खिलौनों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 118 Share Shivkumar Bilagrami 26 Nov 2023 · 1 min read हम पर कष्ट भारी आ गए दृष्टिहीनों के नगर में नेत्रधारी आ गए सब लगे कहने कि हम पर कष्ट भारी आ गए अब तलक तो राजपथ पर सिर्फ आए थे रथी कौन हैं जो राजपथ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 150 Share Shivkumar Bilagrami 29 Jul 2023 · 1 min read नसीहत राह चलते हुए तक़रार नहीं करने का सबसे, आ बैल मुझे मार नहीं करने का अपने परिवार को दें वक़्त उसे ख़ुश रक्खें हर घड़ी दुनिया का उद्धार नहीं करने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 3 1k Share Shivkumar Bilagrami 23 Jun 2023 · 1 min read ध्यान में इक संत डूबा मुस्कुराए ध्यान में इक संत डूबा मुस्कुराए कैसे दुनिया को नई दुनिया दिखाए एक भंवरा रोज़ अपना सर खपाए फूल को वापस कली कैसे बनाए कागज़ों की तितलियों में रंग भर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1k Share Shivkumar Bilagrami 15 May 2023 · 1 min read कोई अपनों को उठाने में लगा है दिन रात कोई अपनों को उठाने में लगा है दिन रात कोई अपनों को गिराने में लगा है दिन रात कोई दुनिया की हिफाज़त के लिए है बेचैन कोई दुनिया को जलाने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 241 Share Shivkumar Bilagrami 28 Apr 2023 · 1 min read हमारे दोस्त कभी हज़ार कभी दो हज़ार मांगेंगे जहां मिलेंगे ये तुमसे उधार मांगेंगे इन्हें पता है कि इनको तलब है बीड़ी की मगर ये आप से मंहगी सिगार मांगेंगे चिकन खरीदेंगे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1k Share Shivkumar Bilagrami 17 Apr 2023 · 1 min read बुराइयां हैं बहुत आदमी के साथ मेरी तो उम्र कटी लेखनी के साथ तेरी भी उम्र कटे शायरी के साथ फ़रेबियों की ज़रा बात क्या सुनी फ़रेब ख़ूब हुए ज़िन्दगी के साथ जहां में सब को... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 885 Share Shivkumar Bilagrami 29 Mar 2023 · 1 min read अब समन्दर को सुखाना चाहते हैं लोग हर किसी को हर किसी से प्रॉब्लम है अब सिर्फ लड़ने का बहाना चाहते हैं लोग ऐटमी हथियार के साए में रहकर भी हर तरफ मौसम सुहाना चाहते हैं लोग... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 757 Share Shivkumar Bilagrami 26 Mar 2023 · 1 min read हे प्रभू ! कैसे -कैसे कलयुगी हैं इस धरा पर हे प्रभू ! किस तरह ख़ुद को रखूँ इनसे बचाकर हे प्रभू ! सच न देखें ,सच न बोलें,सच श्रवण से भी बचें... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 663 Share Shivkumar Bilagrami 21 Mar 2023 · 1 min read बुलेटप्रूफ गाड़ी बुलेटप्रूफ गाड़ी में बन्दूक धारी बड़ी शानो-शौकत से निकली सवारी बड़ी देर तक रोक रक्खा सड़क पर कहां जाये आखिर ये पब्लिक बेचारी ये गाड़ी ये कोठी ये शोहरत ये... Hindi · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका 3 1k Share Shivkumar Bilagrami 6 Feb 2023 · 1 min read शुकराना मुझे ताउम्र तिल तिल कर जलाया आप ने शरर था मैं मुझे शोला बनाया आप ने ज़रूरत थी नहीं इसकी मगर ऐसा हुआ कभी इस दर कभी उस दर नचाया... Hindi · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका · शेर 3 2 1k Share Shivkumar Bilagrami 2 Feb 2023 · 1 min read ज़रूरी था कंटीली थी मगर उस रा'ह पे चलना भी ज़रूरी था औ'र इन पांवों से कांटों का निकलना भी ज़रूरी था ज़रूरी था कि काली रात के साये सिमट जाते मगर... Hindi · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 884 Share Shivkumar Bilagrami 27 Jan 2023 · 1 min read यह रात कट जाए वो दिन आए न आए फिर , मगर यह रात कट जाए किसी सूरत अंधेरा यह , मेरी आंखों से छंट जाए बहुत मुश्किल है तूफ़ानों से लड़कर पार जा... Hindi · कविता · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 312 Share Shivkumar Bilagrami 2 Jun 2022 · 1 min read चराग़ों को जलाने से इनके धूएं से तेरे ताक़ तो काले होंगे पर , चराग़ों को जलाने से उजाले होंगे फ़िक्रे दुनिया में मिटाया है जिन्होंने ख़ुद को ऐसे लोगों के ख़यालात निराले होंगे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 10 12 429 Share Shivkumar Bilagrami 28 Apr 2022 · 1 min read थक चुकी ये ज़िन्दगी ज़िन्दगी की शम्अ को ज़ब्ते ग़म बुझा न दे थक चुकी ये ज़िन्दगी मुझको हौसला न दे दानादिल को है पता हाले-दिल ग़रीब का सब्र तू बनाए रख सब्र से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 325 Share Shivkumar Bilagrami 22 Apr 2022 · 1 min read मेरे दिल को मेरे दिल को आज फिर से आज़माकर देखिए चंद लम्हों के लिए इसको सता कर देखिए हर हक़ीक़त को यहाँ अब मुँह छिपाकर देखिए धूप को भी धूप का चश्मा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 214 Share Shivkumar Bilagrami 5 Apr 2022 · 1 min read आंख ऊपर न उठी... आँख ऊपर न उठी लाख उठाई मैंने रस्मे-फुर्क़त बड़ी मुश्किल से निभाई मैंने उसके जाने का अलम कैसे बताऊँ तुमको जैसे इस जिस्म से हो जान गँवाई मैंने उसकी तस्वीर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 399 Share Shivkumar Bilagrami 1 Apr 2022 · 1 min read हो पाए अगर मुमकिन तुम मेरी ख़ताओं की ख़ुद को न सज़ा देना हो पाए अगर मुमकिन तो मुझको भुला देना मैं याद अगर आऊं , रातों के अंधेरों में तुम ग़म न मेरा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 438 Share Shivkumar Bilagrami 23 Mar 2022 · 1 min read اپنوں سے نہ غیروں سے ۔۔۔ اپنوں سے نہ غیروں سے کوئی بھی گلہ رکھنا آنکھوں کو کھلا رکھنا ہونٹوں کو سلا رکھنا جو زخم ملا تم کو اپنے ہی عزیزوں سے کیا خوب مزہ دیگا... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 249 Share Shivkumar Bilagrami 23 Mar 2022 · 1 min read अपनों से न गै़रों से कोई भी गिला रखना अपनों से न गै़रों से कोई भी गिला रखना आँखों को खुला रखना होठों को सिला रखना जो ज़ख्म मिला तुमको अपने ही अज़ीज़ों से क्या ख़ूब मज़ा देगा तुम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 210 Share Shivkumar Bilagrami 19 Mar 2022 · 1 min read मां के बिन क्या ज़िन्दगी ऐसे सताती है माँ मुझे अपनी क़सम अक्सर खिलाती है ख़ुद कभी मेरी क़सम हरगिज़ न खाती है हर कोई मुझको बुरा कहता ज़माने में एक माँ है जो मुझे अच्छा बताती है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 454 Share Shivkumar Bilagrami 18 Mar 2022 · 1 min read ज़िन्दा रहना है तो जीवन के लिए लड़ अपने घर में बड़े आंगन के लिए लड़ अपनी बस्ती में खुलापन के लिए लड़ माल प्लाज़ा की ज़रूरत तुझे क्या है फूल खिलते हुए उपवन के लिए लड़ बैठ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 1 896 Share Shivkumar Bilagrami 17 Mar 2022 · 1 min read डर इतना अच्छा आप से मिलकर लगे हिज्र की बातें सुनूं तो डर लगे मुस्कुराहट भी तुम्हारी कम नहीं पर हंसी तो और भी सुन्दर लगे धड़कनों में तेरा कारोबार है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 601 Share Shivkumar Bilagrami 14 Mar 2022 · 1 min read कौन नगर में फिर आया लिखते गाते गीत ग़ज़ल यह कौन नगर में फिर आया किसके दिल में पीर उठी है कौन मेरा है हमसाया किसने अपने शहर को छोड़ा किसने छोड़ा घर अपना किसने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 288 Share Shivkumar Bilagrami 12 Mar 2022 · 1 min read उल्टा पुल्टा सब कुछ उल्टा पुल्टा लागे , यही तो प्यारे है संसार मैं भी काट रहा दिन अपने , तू भी अपना वक़्त गुज़ार सिद्धनगर की संतपुरी में ,भक्तजनों की भीड़... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 324 Share Shivkumar Bilagrami 9 Mar 2022 · 1 min read ज़हर बुझे हैं शब्द तुम्हारे ज़हर बुझे हैं शब्द तुम्हारे इनसे मुझ पर वार न करना मौत भले दे देना लेकिन तुम मुझसे तकरार न करना भौंह चढ़ाकर, आँख उठाकर ऊँचे सुर में बातें करना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 181 Share Shivkumar Bilagrami 5 Mar 2022 · 1 min read घोटाला/Ghotala घोटाला भी नहीं लगता घोटाला इन दिनों सियासत का है कितना बोलबाला इन दिनों तुम्हारे इस जुनून-ए-जंग का आलम है यह बड़ी मुश्किल से मिलता है निवाला इन दिनों अंधेरों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 367 Share Shivkumar Bilagrami 3 Mar 2022 · 1 min read कौन है मेरी ग़ज़ल जो रात भर गाता रहा कौन है मेरी ग़ज़ल जो रात भर गाता रहा सुब्ह तक जगता रहा, आता रहा, जाता रहा क्या कहूँ मैं हाल उसकी बेख़ुदी का आप से आँख में आँसू भरे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 459 Share Shivkumar Bilagrami 28 Feb 2022 · 1 min read बहाना हर किसी को हर किसी से प्राब्लम है अब सिर्फ़ लड़ने का बहाना चाहते हैं लोग ऐटमी हथियार के साये में रहकर भी हर तरफ़ मौसम सुहाना चाहते हैं लोग... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 336 Share Shivkumar Bilagrami 25 Feb 2022 · 1 min read आज फिर से... आज फिर से क़ब्र पर आया कोई और रो गया आज फिर जगकर हँसा मैं और हँस कर सो गया देर तक ठहरी रहीं आँखें मेरी उस नक्श पर वो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 172 Share Shivkumar Bilagrami 24 Feb 2022 · 1 min read तो मुझे अच्छा लगे कोई चिड़िया चहचहाये तो मुझे अच्छा लगे कोई भँवरा गीत गाये तो मुझे अच्छा लगे घास का मैदान सुन्दर लग रहा बेहद मगर फूल कोई मुस्कुराये तो मुझे अच्छा लगे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 681 Share Shivkumar Bilagrami 23 Feb 2022 · 1 min read मैं मैं तो मैं था ज़िन्से बाज़ार न था वर्ना क्या कोई ख़रीदार न था मैंने ही हर एक से मुँह मोड़ लिया वर्ना क्या कोई मददगार न था दश्तगर्दी थी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 156 Share Shivkumar Bilagrami 21 Feb 2022 · 1 min read संत-संन्यासी यहाँ पर हूँ... वहाँ पर हूँ... वहाँ पर हूँ... वहाँ पर हूँ अकेले में मैं अक्सर सोचता हूँ मैं कहाँ पर हूँ कभी लगता मुझे ऐसा कि मैं तो इस... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 394 Share Shivkumar Bilagrami 13 Feb 2022 · 1 min read आक्टोपस सैंकड़ों ग़ोते समन्दर में लगाए हैं तब कहीं दो-चार मोती हाथ आए हैं ज़िन्दगी अपनी भी जैसे "ऑक्टोपस" हो रंग इसने भी उसी जैसे दिखाए हैं अक़्ल आती है कहां... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 182 Share Shivkumar Bilagrami 20 Nov 2021 · 1 min read Dost दोस्त क्या तुमको हर दोस्त तुम्हारा झूठा लगता है कौन है आख़िर वो जो तुमको सच्चा लगता है किसको देख के छा जाती है लब पर ख़ामोशी किसको देख के बातें... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 288 Share Shivkumar Bilagrami 30 Oct 2021 · 1 min read सबके ऐबों को छुपाने का जिगर दे मुझको मेरे अल्लाह मोहब्बत की नज़र दे मुझको सबके ऐबों को छुपाने का जिगर दे मुझको जिसने दुनिया की किसी चीज़ को अपना न कहा किसी ऐसे बड़े इंसां की नज़र... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 164 Share Shivkumar Bilagrami 30 Sep 2021 · 1 min read शैतान भी है मरने को तैयार हूं लेकिन जीने का अरमान भी है मुझसे पंगा ठीक नहीं है मुझ में इक शैतान भी है मेरी आंखें पढ़ने वाले फिर से इनको पढ़कर देख... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 241 Share Shivkumar Bilagrami 28 Aug 2021 · 1 min read अख़बार सुब्ह जब अख़बार आता है तो डर जाता हूं मैं क़त्ल की ख़बरों को पढ़कर रोज़ मर जाता हूं मैं व्हाट्सअप पर जुल्म के हैं कैसे-कैसे वीडियो वीडियो को देख,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 191 Share Shivkumar Bilagrami 9 Aug 2021 · 1 min read आख़िर कब तक , कब तक आख़िर सिसक सिसक कर रात बिताना आख़िर कब तक कब तक आख़िर सबसे अपना दर्द छुपाना आख़िर कब तक कब तक आख़िर सबके खातिर जीना लेकिन अपनी कोई फ़िक्र न करना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 268 Share Shivkumar Bilagrami 5 Aug 2021 · 1 min read दाग़ दाग़ जो अब तक अयाँ हैं वो बता कैसे मिटें फास्ले जो दरमियाँ हैं वो बता कैसे मिटें एक मुद्दत से दिलों में दर्द की हैं बस्तियाँ दर्द की जो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 152 Share Shivkumar Bilagrami 3 Aug 2021 · 1 min read Ghar / घर जिधर देखूं उधर ही घर सजा संवरा लगे तेरे घर में मुझे सब कुछ बहुत अच्छा लगे नफ़स में घुल रही हैं मीठी मीठी खुशबुएं यहां का ईंट पत्थर चांदी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 562 Share Shivkumar Bilagrami 23 Aug 2017 · 1 min read मेरे दिल में जो है मेरे दिल में जो है तुमको वो बताऊँ कैसे दिल की सरहद से ज़ुबाँ तक इसे लाऊँ कैसे एक तस्वीर जिसे दिल में छुपा रक्खा है चीरकर दिल को वो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 258 Share Shivkumar Bilagrami 1 Aug 2017 · 1 min read नई दिल्ली हज़ारों ख़्वाब जनता को दिखाती है नई दिल्ली मगर जनता को अक्सर भूल जाती है नई दिल्ली न तो रहने न ही खाने का बंदोबस्त है कोई मगर फिर भी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 403 Share Shivkumar Bilagrami 30 Jul 2017 · 1 min read बड़े भाई मेरी उलझन को इतना क्यों बढ़ाते हो बड़े भाई तुम अपना दर्द मुझसे क्यों छुपाते हो बड़े भाई अकेले में तुम्हे पाया है मैंने सिसकियाँ भरते सभी के सामने तुम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 484 Share Shivkumar Bilagrami 22 Jul 2017 · 1 min read युद्ध के उन्माद न जाने कौन सा आनन्द इस अतिवाद में है जिसे देखो वही अब युद्ध के उन्माद में है कभी भी युद्ध से होती नहीं है हल समस्या समर्थक युद्ध का... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 498 Share Shivkumar Bilagrami 21 Jul 2017 · 1 min read सैंकड़ों गोते सैंकड़ों गोते समुन्दर में लगाये हैं तब कहीं दो चार मोती हाथ आये हैं ज़िन्दगी अपनी भी जैसे आक्टोपस हो रंग इसने भी उसी जैसे दिखाये हैं छोड़ तो आये... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 244 Share Shivkumar Bilagrami 12 Jul 2017 · 1 min read जहाँ भर में जहां भर में अमन का ग्राफ़ नीचे जा रहा है जिसे देखो वही तलवार खींचे जा रहा है क़लम से काटनी थी नफ़रतों की पौध जिसको वही अब नफ़रतों की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 567 Share Shivkumar Bilagrami 10 Jul 2017 · 1 min read तुम्हें बादल दिखायेगा तुम्हें बादल दिखायेगा तुम्हारे वोट ले लेगा मगर कोई सियासतदां तुम्हें बारिश नहीं देगा गरीबों के लिए जब भी कोई योजना आये तो तुम भी देखना मंज़र कि इस पर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 368 Share Shivkumar Bilagrami 9 Jul 2017 · 1 min read मुश्किलों के दौर को मुश्किलों के दौर को हम खुद पे ऐसे सह गए कुछ तो आँसू पी लिए कुछ एक आँसू बह गए उम्र भर आँखों में पाला था जिन्हें अपना समझ ख्व़ाब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 256 Share Shivkumar Bilagrami 9 Jul 2017 · 1 min read अपनों से न गैरों से अपनों से न ग़ैरों से कोई भी गिला रखना आँखों को खुला रखना होंठों को सिला रखना जो ज़ख्म मिला तुमको अपने ही अज़ीज़ों से क्या ख़ूब मज़ा देगा तुम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 321 Share Page 1 Next