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2 Jun 2022 · 1 min read

चराग़ों को जलाने से

इनके धूएं से तेरे ताक़ तो काले होंगे
पर , चराग़ों को जलाने से उजाले होंगे

फ़िक्रे दुनिया में मिटाया है जिन्होंने ख़ुद को
ऐसे लोगों के ख़यालात निराले होंगे

हाथ दोनों थे कटे फिर भी वो कांटों पे चला
उसने कांटे बड़ी मुश्किल से निकाले होंगे

साधकर मौन जो बैठा है नदी के तट पर
उसके पैरों ने कई घाट खंगाले होंगे

एक से एक बड़े दर्द हैं तेरे दिल में
कैसे ये दर्द तेरे दिल ने संभाले होंगे

… शिवकुमार बिलगरामी

10 Likes · 12 Comments · 424 Views
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