Jaikrishan Uniyal 259 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Jaikrishan Uniyal 17 Nov 2024 · 1 min read आहत मन ! कल रात की ही तो है बात, झांसी में जो घटित हुआ रात, लील गया बच्चों का बचपन, जिनका शुरु होना था अभी जीवन, अग्नि कांड ने जिन्हें छीन लिया,... 65 Share Jaikrishan Uniyal 23 Oct 2024 · 1 min read गांधी वादी सोनम वांगचुक, और आज के परिवेश! सोनम वांगचुक और वर्तमान परिवेश, गांधी वादी सत्याग्रह, और सरकार का संदेश, शांति पूर्ण अभिव्यक्ति, सरकारी विरक्ति,, एक राज्य के दो भाग, एक में शांति पूर्ण प्रदर्शन, एक में गोलियों... 76 Share Jaikrishan Uniyal 7 Oct 2024 · 1 min read कान्हा ओ कान्हा! ना ना ओ कान्हा, ना ना मै नही बंसी चुराई, राधिके तुने बंसी चुराई; मेरी बंसी जब जब बजती, गोपियों की टोली सजती, तब तब तुमरा तन्हा होना, गुमसुम रह... 69 Share Jaikrishan Uniyal 15 Sep 2024 · 2 min read फर्क पड़ता है!! अक्सर कहते हैं लोग, किसी के विरुद्ध हो रहे , व्यवहार पर, हमें क्या फर्क पड़ता है! सामान्य तौर पर, नही करते प्रतिकार, हो रहे उस दुर्व्यवहार पर, जबकि पीड़ित... 89 Share Jaikrishan Uniyal 17 Aug 2024 · 1 min read आओ बच्चों तुम्हे बताएं,बातें हिन्दुस्तान की, आओ बच्चों तुम्हे बताएं, बातें हिन्दुस्तान की, इस मिट्टी में खुशबू भरी है,अपने आम इंसान की, बन्दे मातरम् बन्दे मातरम्! आओ बच्चों तुम्हे बताएं बातें दुनिया जहान की , कान... 67 Share Jaikrishan Uniyal 21 Jul 2024 · 3 min read लौकिक से अलौकिक तक! मनुष्य की चाहत, जीवन कायम रखने तक नहीं रहती सीमित, उससे भी आगे, कुछ कर गुजरने को रहती है , सदैव लालायित, जन्म से ही वह रहना सीखता है ,... 70 Share Jaikrishan Uniyal 19 Jun 2024 · 1 min read मेरे राम उनके राम, हम सबके ही हैं राम! दीन दुखियों के हैं राम, भक्तों की भक्ति में राम, जीवन मरण में राम, अभिवादन में राम, मेरे राम उनके राम, हम सबके हैं राम! गरीब गुरबों के राम, केवट... 98 Share Jaikrishan Uniyal 6 Jun 2024 · 1 min read पारा !! आसमानी पारा तो बढा हुआ था, राजनीतिक पारा भी चढा हुआ है, घर घर में हो रही है ऐसी बहस, लोगों का भी पारा बिफरा हुआ है, कौन जीता कौन... 1 72 Share Jaikrishan Uniyal 27 May 2024 · 1 min read मां बेटी और बहन, महिलाओं का शश्क्तिकरण । मा बहन बेटी, सबसे पहले जगती, अपने काम पर लगती, झाड़ू पोंछा, चु्ल्हा चौका, नाश्ता हो या, चाय पानी, जैसी जरुरत, वह निभानी, खेती बाड़ी, और बागवानी, गाय भैंस का,... 1 84 Share Jaikrishan Uniyal 13 May 2024 · 1 min read नहीं हो रहा है भरोसा उन पर! डिग रहा है भरोसा, अपनी ही संस्थाओं से, नाज हुआ करता जिन पर, वो शर्मशार किए जा रहे हैं! देश दुनिया देख रही है, शाख इनकी घट गयी है, कायम... 77 Share Jaikrishan Uniyal 27 Apr 2024 · 1 min read आओ बौंड बौंड खेलें! आओ बौंड बौंड खेलें, मिल जाये हम भी लेलें, थोड़ी सी परेशानी झेंलें, दर दर जाकर मन टटोलें,आओ बौंड बौंड खेलें! इस बौंड से होता क्या है, आकर चलो पता... 115 Share Jaikrishan Uniyal 13 Apr 2024 · 2 min read न्याय के मंदिर में! न्याय के मंदिर में, हो न जाए अन्याय, सीडी दर सीडी बनी है, पाने को वहां न्याय, न्याय के मंदिर में जब,किसी को लगता है ये, मिल नहीं पाया है... 92 Share Jaikrishan Uniyal 25 Mar 2024 · 1 min read त्यौहारों का संदेश! होली हो या दशहरा, दिवाली हो या नवरात्रा, इनमें है संदेश भरा! बुराई के प्रतिकार का, अत्याचार से संहार का, होलिका प्रतिक बन गयी, साल दर साल जलती गयी! पर... 165 Share Jaikrishan Uniyal 14 Mar 2024 · 2 min read मेरा भारत बदल रहा है! (भाग 2) जिन पर जिम्मा था खुशहाली का, वह जुटे रहे अपनी खुशहाली में, स्वास्थ्य शिक्षा के चक्कर में, कहाँ वह हमको अब दिखते हैं, रोजमर्रा की दिनचर्या में, वे नाता अब... 83 Share Jaikrishan Uniyal 13 Mar 2024 · 2 min read मेरा भारत बदल रहा है, मेरा भारत बदल रहा है, लिख रहा है नयी ईबारत, दबे हुए अरमानों की,, नये नए फरमानों की, बीत गए अफसानों की,नव सृजित अभियानों की, अमृत काल यह चल रहा,... 80 Share Jaikrishan Uniyal 3 Mar 2024 · 2 min read सत्तर की दहलीज पर! ये उस समय की बात है, जब पहुंचा जवानी की दहलीज, लहू में ऊर्जा थी भरपूर, और कुछ कर गुजरने का जज्बा भी प्रचूर! क्या मजाल , जो किसी के... 1 2 295 Share Jaikrishan Uniyal 22 Feb 2024 · 1 min read लहरों पर होकर सवार!चलना नही स्वीकार!! आंधी आए या तूफान, डटे रहते जो इंसान, लहरों पर होकर सवार,चलना नही उन्हें स्वीकार; धूल कण हो या गारा मिट्टी, हवा के झोंकों में उडने लगती, वे मर कर... 1 455 Share Jaikrishan Uniyal 10 Feb 2024 · 1 min read हमारे धर्म ध्वज के वाहक ! शंकराचार्य हैं, हमारे धर्म ध्वज के वाहक, इनके विरुद्ध खड़े हैं, जो नाहक, वह हैं सिर्फ, तथा कथित परिषद् के प्रचारक, नहीं उनकी कोई ऐसी हैसियत,जो माने जाएं विचारक! हम... 1 164 Share Jaikrishan Uniyal 30 Jan 2024 · 1 min read धर्म कर्म मेरा धर्म नहीं सीमित, किसी जात पात में, मेरा धर्म नही चिन्हित, किसी समाज के संप्रदाय में! मेरा धर्म सिखाता मुझको, मानव संग जीवन जीना, मानव के दुख दर्द में,... 2 279 Share Jaikrishan Uniyal 30 Oct 2021 · 2 min read असहज सवाल! जिन बातों में सहमति नहीं होती, बार बार जब वह सामने आ जाती, दिल चाहता है उनसे ना हो जाए सामना, जिनके जवाब देने में मन हो जाए अनमना, अक्सर... Hindi · कविता 3 4 556 Share Jaikrishan Uniyal 17 Oct 2021 · 2 min read ये वो हैं जो हिसाब मांगते ! वो जिसने मानवता की राह दिखाई, वो जिसने आजादी की चाह जगाई, आज उससे कुछ लोग हिसाब मांगते, पुछ रहे हैं अपना हिन्दुस्तान कहां है? जिसने अपना सब कुछ त्यागा,... Hindi · मुक्तक 2 4 403 Share Jaikrishan Uniyal 30 Aug 2021 · 3 min read अजन्मा है वो,जन्मा है जो! भादों मास की बात थी अष्टमी की रात थी, बरस रहे थे मेघ घनघोर, मथुरा में मच गया था शोर, देवकी नंदन आने को है, आठवीं संतान पाने को है!... Hindi · हाइकु 3 4 755 Share Jaikrishan Uniyal 20 Aug 2021 · 3 min read बात गरीब गुरबों की! अपने देश में गरीबों की संख्या का सटीक आंकड़ा ही नहीं है,बस तुके में कहा जाता है कि देश में बीस बाइस करोड़ लोग गरीब हैं!दो हजार ग्यारह की जनगणना... Hindi · लेख 1 2 1k Share Jaikrishan Uniyal 16 Aug 2021 · 3 min read गुरबत में है निम्न मध्यम वर्ग! कल जब देश में आजादी के पचत्तर साल का उत्सव मनाया जा रहा था,तब निम्न मध्यम वर्ग के नागरिक अपनी रोजमर्रा की जरूरतों की पूर्ति के लिए अपनी ध्याडी मजदूरी... Hindi · लेख 548 Share Jaikrishan Uniyal 8 Aug 2021 · 3 min read उलझन में मध्यम वर्ग! आज के परिवेश में जब देश विभिन्न प्रकार की समस्याओं से जूझ रहा है, आर्थिक मंदी, रोजगार की कमी, व्यापार में शिथिलता, महंगाई में वृद्धि ऐसी परिस्थितियां हैं जिनकी सबसे... Hindi · लेख 2 2 378 Share Jaikrishan Uniyal 1 Aug 2021 · 3 min read धारणा बनाता उच्च मध्यम वर्ग! आज कल के परिवेश में जब देश अनेकों प्रकार की समस्याओं से जूझ रहा है ऐसे में सरकार अपने वजूद को बचाने के प्रयास में लगी रहे तो जायज बनता... Hindi · लेख 2 2 884 Share Jaikrishan Uniyal 25 Jul 2021 · 1 min read ये किस्तम नहीं तो और क्या है? जब आर्थिक संकट से यह देश जूझ रहा था, तब हमारे मुखिया को आधुनिक सुविधाओं से लैस वायु यान चाहिए था! सारा जहां जब महामारी से हलकान हुआ जा रहा... Hindi · तेवरी 1 2 537 Share Jaikrishan Uniyal 18 Jul 2021 · 1 min read कैसा चल रहा आज!देश का ये राज काज!! कैसा चल रहा है आज, देश का ये राज काज, जुटा रहे हैं धन दौलत, छोड़ कर लोक लाज! नित बढ़ रहे हैं दाम, डीजल पेट्रोल पे, माह दो माह... Hindi · तेवरी 3 6 525 Share Jaikrishan Uniyal 13 Jul 2021 · 1 min read चिंता डायन! जाने कब से आकर मुझमें, रच बस गई ये चिंता डायन, थोड़ी सी भी कोई बात हो जाए, सताने लगती है चिंता डायन! जब तक मैं इससे, ना हुआ था... Hindi · कविता 2 2 520 Share Jaikrishan Uniyal 4 Jul 2021 · 2 min read एक उम्र के बाद! एक उम्र के बाद, आदमी में, बदलने लगते हैं , विचार, आदतें, तौर-तरीके, उम्मीदें, और, कार्य व्यवहार! एक उम्र के बाद, उम्र की, एक निर्धारित उम्र होती है, यानी समय... Hindi · कविता 3 2 490 Share Jaikrishan Uniyal 18 Jun 2021 · 2 min read गन्ना ना दे,भेली देंवे! अपने बड़े बुजुर्गो से सुना था, गन्ना ना दें,भेली देंवे! सुन कर बड़ा अजीब लगता था, यह वृद्ध ऐसा क्यों कहता है! यह पहेली अब समझ में आई, जब काम... Hindi · कविता 2 7 399 Share Jaikrishan Uniyal 10 Jun 2021 · 4 min read गृहस्थ प्रबंधन! पांच जनों का हो परिवार, तो राशन कितना लगता है, एक वक्त के भोजन का, इतना तो प्रबंधन करना पड़ता है, गेहूं चावल मंडवा झंगोरा, आधे सेर का एक कटोरा!... Hindi · कविता 4 4 667 Share Jaikrishan Uniyal 4 Jun 2021 · 1 min read सकारात्मकता का बोध! आज कल चर्चा में है, सकारात्मक रहना, और नकारात्मकता से दूर रहना, बतलाया जा रहा है। तो बताए देते हैं , हम तो सकारात्मक ही रहे हैं, रहते हैं, और... Hindi · कविता 2 354 Share Jaikrishan Uniyal 31 May 2021 · 1 min read पल भर की खबर नहीं! पल भर की खबर नहीं है, ख्वाब संजोए वर्षों के, झूठी सारी मोह माया है, सपने बुनते हैं अपनों के! कौन साथ में गया है किसके, समय बिताया जिन सबने,... Hindi · कविता 4 6 547 Share Jaikrishan Uniyal 25 May 2021 · 2 min read छलकते आंसू आंखों में क्यों आ जाते हैं आंसू आकर के क्या जतलाते हैं आंसू, चोट लगती है जब शरीर पर, आह उभरती है तब मुख पर, तब निकलने लगते हैं आंसू... Hindi · कविता 2 2 633 Share Jaikrishan Uniyal 23 May 2021 · 2 min read रे मनुवा! क्या लेकर आया है रे, क्या लेकर जाएगा, रे मनुवा एक दिन, सब कुछ यहीं पर छूट जाएगा! नई नई, पहचान लेकर, छोटी सी जान लेकर, मैं यहां पर आया... Hindi · गीत 3 4 594 Share Jaikrishan Uniyal 20 May 2021 · 2 min read हो जाए ना बत्ती गुल! ये ऐसा कैसा समय है आया, हो रही है जब बत्ती गुल, घर पर ऐसे ठिठके हैं, जैसे हम हों बिल्कुल नाकुल (ना काबिल)! कभी बिना काम के भी निकल... Hindi · कविता 3 3 375 Share Jaikrishan Uniyal 18 May 2021 · 2 min read झम झमा झम हुई बरसात! आज रात को जब हुई बरसात, बड़े दिनों के बाद हुई बरसात, खुब जमकर हुई बरसात, झम झमा झम हुई बरसात! गर्मी से जब हम हांफ रहे थे, कुलर पंखे... Hindi · कविता 1 2 807 Share Jaikrishan Uniyal 16 May 2021 · 3 min read निन्यानबे के फेर में! यूं तो घर गृहस्थी को चलाने के फेर में, लग जाते हैं हम अंधेर में! सब ही जुटे पड़े हैं, निन्यानबे के फेर में! मजदूर मजूरी करता है, थोड़ी ही... Hindi · कविता 2 7 444 Share Jaikrishan Uniyal 10 May 2021 · 2 min read चले जाना है इक दिन!! चले जाना है, इक दिन, चले जाना है हम सबको, अपने अपने बुलावे पर, अपने लिए निर्धारित दिन, क्या है यह अपना पराया, यह सब जग की झूठी माया, क्या... Hindi · कविता 3 6 474 Share Jaikrishan Uniyal 8 May 2021 · 2 min read महानगरों का तिलिस्म कहें या चकाचौंध! रोजी-रोटी की भागदौड़ में, गांव के वह दिन, घर खेत खलिहान, हुआ करती थी अपनी पहचान, जब सुविधाओं की चाहत ने, दिया हमें झकझोर, चले आए हम घर बार छोड़,... Hindi · कविता 1 2 439 Share Jaikrishan Uniyal 4 May 2021 · 2 min read एक डोज सच का भी! हम दूसरों के सच बता रहे हैं, अपने सच को छुपा रहे हैं, हां यह सच है गलतियां हुई हैं भारी, पर क्या हमने भी निभाई अपनी जिम्मेदारी, हमने भी... Hindi · कविता 2 12 377 Share Jaikrishan Uniyal 2 May 2021 · 2 min read पक्ष-विपक्ष एवं निष्पक्ष! हमारा रहा है सदा ही एक पक्ष, हम कभी नहीं रहे हैं निष्पक्ष, इसकी शुरुआत अपने घर से ही कर लें, अपने परिवार के किसी भी सदस्य के रूप में,... Hindi · कविता 1 4 511 Share Jaikrishan Uniyal 30 Apr 2021 · 2 min read आपदा को अवसर में बदलने की कला! आपदा को अवसर में बदलने की कला में, महारथ हासिल कर ली है अब मुनाफा बाजों ने, बीमार पर है आपदा, परिवार को सुविधा का अभाव, कालाबाजारी में मिलती है,दवा,... Hindi · कविता 329 Share Jaikrishan Uniyal 27 Apr 2021 · 2 min read मनुष्य का चरित्र: है कितना विचित्र! मनुष्य का चरित्र, है कितना विचित्र, अपना ही देखते हैं फायदा, दूसरे के लिए अलग नियम कायदा, दूसरों से करते हैं ऐसी अपेक्षा, दूसरे की कर लेते हैं उपेक्षा, हमें... Hindi · कविता 1 4 509 Share Jaikrishan Uniyal 25 Apr 2021 · 2 min read ये भेदभाव क्यों हुआ! लोग भेदभाव करते हैं, यह सुना करते थे! कभी कभार देखने को भी मिला, भेदभाव जब किया गया!. इसे करने का उद्देश्य भी रहा, था अपने और पराए का संदेश... Hindi · कविता 2 6 1k Share Jaikrishan Uniyal 24 Apr 2021 · 2 min read वो भी क्या दिन थे! वो भी क्या दिन थे, लगा रहता था घर पर मेहमानों का आना-जाना प्रतिदिन, कब कौन सा मेहमान आ जाए, कब कौन सा चलने को कहे, कौन रुकेगा कितने दिन,... Hindi · कविता 1 6 571 Share Jaikrishan Uniyal 23 Apr 2021 · 2 min read सच कहूं, डर तो लगता है! है मृत्यु निश्चित, यह जानता हूं मैं, पर, मर ना जाऊं ऐसे ही, डरता हूं मैं! डरा रही है यह बिमारी, कह रहे हैं जिसे महामारी, पर, घोषित नहीं कर... Hindi · कविता 2 8 548 Share Jaikrishan Uniyal 20 Apr 2021 · 1 min read माता का दरबार सजा है! माता का दरबार सजा है,जय मां भवानी भक्तों का अंबार लगा है,जय मां भवानी! शैल पुत्री बनकर आई, मां भवानी, ब्रह्मचारिणी रूप धरे है मां भवानी, चन्द्र घंटा बनकर उभरी... Hindi · कविता 1 2 558 Share Jaikrishan Uniyal 18 Apr 2021 · 2 min read लो लौट आया कोरोना ! बीत गया एक साल, बजाते रहे गाल, ताली बजाई, थाली बजाई, दीप जलाए, मोमबत्तियां जलाई, किसी किसी ने टार्च जलाई, कुछ लोगों ने मोबाइल से रोशनी बनाई, हर उपाय वह... Hindi · कविता 2 6 486 Share Page 1 Next