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तिरी बे-रूख़ी का कोई ग़म नहीं होता जानां
suresh sangwan
अपनी ज़ुल्मत-ओ-नफ़रत को अदा कहती है
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मौसम आशिकाना बहुत है आज
suresh sangwan
हर शय में ढलने की आदत डाल रखी है
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तेरे ईश्क़ को अपनी अमानत कर लूं
suresh sangwan
ज़िंदगी अपनी है फिर भी उधार लगती है..
suresh sangwan
मात-पिता और गुरु का मान हमेशा रखना..
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अपने हिस्से की चाहिये अब जिंदगी मुझे..
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मिजाज़-ए-मौसम कुछ पल में बदल जाता है..
suresh sangwan
बिना पढ़े ही पोस्ट लाईक ना करना यारो..
suresh sangwan
नज़र बता रही है इसे उल्फ़त रही है .......
suresh sangwan
कहानी लंबी है पर छोटा सा किरदार मैं भी रखती हूँ..
suresh sangwan
है दरमियाँ जो आज वो परदा हटाकर देख लेते हैं
suresh sangwan
शौक़-ए-विसाल और ये शरमाना तेरा मेरा..
suresh sangwan
खुले आसमाँ तले सोया भी जाय तो कैसे..
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बेचैनियों को दिल की पैग़ाम कोई तो दे...........
suresh sangwan
बेचैनियों को दिल की पैग़ाम कोई तो दे...........
suresh sangwan
कोई मंज़िल भी नहीं कहीं मुझे जाना भी नहीं...
suresh sangwan
आँखों में नूर आया मिरे लब पे हँसी आ गई..
suresh sangwan
ख़्वाब- ओ-हक़ीकत में आसां याराने कहाँ होते हैं
suresh sangwan
जिंदगी इक बार नहीं सौ बार चल के आये..
suresh sangwan
चली रोशनी की बात हवाओं के साथ साथ..
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बहे चलो जब तक किनारे ना मिलें..........
suresh sangwan
आजा के मेरी खुशियों की सौगात बन के आ..........
suresh sangwan
चरागों के क़िस्से हवाओं की दास्तां सुनाकर जाना.........
suresh sangwan
हालात ही बदले न खुद को बदल पाये हम..........
suresh sangwan
तहरीरें काग़ज़ पर उतार लीजिये..........
suresh sangwan
ग़ज़ल पर ग़ज़ल मैं तुझको सोचकर लिखती रही...
suresh sangwan
इक महकते गुल ने गुलाब भेजा है...
suresh sangwan
सज़दे बहुत किये या-रब दुआएं बहुत की
suresh sangwan
तेरी दोस्ती को ज़िंदगी की जान मानती हूँ
suresh sangwan
उस पार वो तो जाके इस पार देखते हैं
suresh sangwan
ये जिंदगी इक बार क्या दस बार चल के आये
suresh sangwan
जहाँ इतने हैं ए दिल वहाँ एक फसाना और सही
suresh sangwan
दिल ये मेरी नज़र कर दे
suresh sangwan
आज से अब से कोई गीत ऐसा गाएँ हम
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क्या कहूँ किसी एक को दिल ये ज़रा-ज़रा सबने तोड़ा
suresh sangwan
खंजर देख ना कटार देख
suresh sangwan
चाँद- सितारों में हैं क्या चर्चे चलकर देखा जाये
suresh sangwan
ज़िंदगी धुआँ -धुआँ शाम सी लगती है
suresh sangwan
झुकती हैं पलकें कभी उठ- उठ देखती हैं
suresh sangwan
मंज़िल कोई और मुझे बताये ही क्यूँ
suresh sangwan
गुजरेगा यहीं से घर खुदा के रास्ता कोई
suresh sangwan
खुश्बू-ए-गुल को हवाओं से मिल जाने दे
suresh sangwan
ये मोहब्बत है पनाह में नहीं रहती
suresh sangwan
चाँद की बस्ती में काफ़िला सितारों का मिले
suresh sangwan
यकीं उसकी उल्फ़त का मुझे आने तो दे
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जी रही हूँ फिर से दिन बचपन वाले मैं
suresh sangwan
जीती हूँ फिर से वे दिन बचपन वाले
suresh sangwan
किताबों में दिल की कहानी रहेगी
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