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8 Dec 2016 · 1 min read

कहानी लंबी है पर छोटा सा किरदार मैं भी रखती हूँ..

कहानी लंबी है पर छोटा सा किरदार मैं भी रखती हूँ
ज़माने के साथ चल सकूँ इतनी रफ़्तार मैं भी रखती हूँ

नारी हूँ मैं अपनी कहूँ ना कहूँ कोई देखे ना देखे
गरचे घायल सी ख्वाहिशों का अम्बार मैं भी रखती हूँ

दुनियां की नज़र में उठने को गिर जाउं ए दौलत किसलिए
बहुत सी डिग्रीयां और अनेकों पुरस्कार मैं भी रखती हूँ

हवाएँ जब भी चलती हैं रिहाई कर देती हूँ तेरी ख़ातिर
दिल के चमन में ख़ुश्बूओं को ग़िरफ्तार मैं भी रखती हूँ

मेरी हसरतो अब मेरा कहा मानो जाओ किसी और नगर
पूरा नहीं कुछ तो मगर तुम पर इख्तियार मैं भी रखती हूँ

राह भूलने का बहाना बुरा नहीं क्यूंकि तू वाक़िफ़ है
तिरे दीद के पल का दिल ही दिल में इंतज़ार मैं भी रखती हूँ

देखा बदलते हुये इतिहास ‘सरु’ दुनियाँ को हिलते हुये
तलवार तो नहीं मगर क़लम-वाला हथियार मैं भी रखती हूँ

1 Comment · 564 Views
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