Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Nov 2016 · 1 min read

चाँद- सितारों में हैं क्या चर्चे चलकर देखा जाये

चाँद- सितारों में हैं क्या चर्चे चलकर देखा जाये
ज़मीं का आसमाँ से कभी दिल बदलकर देखा जाये

क़िताबी इल्म नहीं यारो तज़रबा अपना है मेरा
बेहतर है दुनियाँ को घर से निकलकर देखा जाये

वही धूप हवाएँ वही मिट्टी है उस घर में भी
इन बीच की दीवारों से उपर उठकर देखा जाये

झूठ नहीं ये सच कहेगा दिल हमेशा खुश रहेगा
आ ज़िंदगी के आईने में सँवरकर देखा जाये

मिलती हूँ जब भी पापा से तब तब जी में आता है
बच्चों की तरह क्यूँ ना आज मचलकर देखा जाये

यहाँ इनसां- इनसां को बनाया ज़िंदगी को ज़िंदगी
दर्द-ओ-गम को भी हमेशा मुस्कुराकर देखा जाये

अब कितनी बदलें चाल देखकर रास्तों के हाल’सरु’
इन राहों के हर मोड़ पर रुक- रुक कर देखा जाये

1 Comment · 261 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"सच्ची मोहब्बत के बगैर"
Dr. Kishan tandon kranti
तारिणी वर्णिक छंद का विधान
तारिणी वर्णिक छंद का विधान
Subhash Singhai
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
दिल की भाषा
दिल की भाषा
Ram Krishan Rastogi
स्वागत है नवजात भतीजे
स्वागत है नवजात भतीजे
Pooja srijan
दुनिया
दुनिया
Jagannath Prajapati
माँ जब भी दुआएं देती है
माँ जब भी दुआएं देती है
Bhupendra Rawat
पुस्तक
पुस्तक
Vedha Singh
वह दौर भी चिट्ठियों का अजब था
वह दौर भी चिट्ठियों का अजब था
श्याम सिंह बिष्ट
मोहब्बत का मेरी, उसने यूं भरोसा कर लिया।
मोहब्बत का मेरी, उसने यूं भरोसा कर लिया।
इ. प्रेम नवोदयन
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
कानाफूसी है पैसों की,
कानाफूसी है पैसों की,
Ravi Prakash
23/61.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/61.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
प्रात काल की शुद्ध हवा
प्रात काल की शुद्ध हवा
लक्ष्मी सिंह
. *विरोध*
. *विरोध*
Rashmi Sanjay
#यदा_कदा_संवाद_मधुर, #छल_का_परिचायक।
#यदा_कदा_संवाद_मधुर, #छल_का_परिचायक।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
दरख़्त और व्यक्तित्व
दरख़्त और व्यक्तित्व
Dr Parveen Thakur
शिकायत नही तू शुक्रिया कर
शिकायत नही तू शुक्रिया कर
Surya Barman
#मुक्तक
#मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
मैं तो इंसान हूँ ऐसा
मैं तो इंसान हूँ ऐसा
gurudeenverma198
💐अज्ञात के प्रति-147💐
💐अज्ञात के प्रति-147💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
बसंत
बसंत
manjula chauhan
अनेक को दिया उजाड़
अनेक को दिया उजाड़
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
किसी विशेष व्यक्ति के पिछलगगु बनने से अच्छा है आप खुद विशेष
किसी विशेष व्यक्ति के पिछलगगु बनने से अच्छा है आप खुद विशेष
Vivek Ahuja
संत नरसी (नरसिंह) मेहता
संत नरसी (नरसिंह) मेहता
Pravesh Shinde
प्रदूषन
प्रदूषन
Bodhisatva kastooriya
ये  भी  क्या  कमाल  हो  गया
ये भी क्या कमाल हो गया
shabina. Naaz
मुश्किलों में उम्मीद यूँ मुस्कराती है
मुश्किलों में उम्मीद यूँ मुस्कराती है
VINOD CHAUHAN
कई वर्षों से ठीक से होली अब तक खेला नहीं हूं मैं /लवकुश यादव
कई वर्षों से ठीक से होली अब तक खेला नहीं हूं मैं /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
सौगंध से अंजाम तक - दीपक नीलपदम्
सौगंध से अंजाम तक - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
Loading...