मैं तो इंसान हूँ ऐसा
मैं तो इंसान हूँ ऐसा, चाहे बुरा मानो इसका।
वफ़ा जो हैं यहाँ मुझसे, साथ देता हूँ उसका।।
मैं तो इंसान हूँ ऐसा——————–।।
सूरत-दौलत से नहीं प्यार, उसमें मानवता है कितनी।
उसके महलों की नहीं चाह, उसमें मोहब्बत है कितनी।।
प्यार यहाँ जिसको है मुझसे, दोस्त हूँ मैं यहाँ उसका।
मैं तो इंसान हूँ ऐसा———————।।
गुलामी मुझको नहीं पसंद, बेचता नहीं अपना ईमान।
मेरे भी कुछ उसूल है, प्यारी है मुझको अपनी आन।।
मुझको जो देता है सम्मान, रखता हूँ मान मैं उसका।
मैं तो इंसान हूँ ऐसा——————–।।
दीवाना हुस्न का होकर, होना नहीं चाहता बदनाम।
हुस्न पे क्यों होऊं बर्बाद , कमाना है मुझको नाम।।
झुकाता है जो मुझको सिर, ख्याल करता हूँ उसका।
मैं तो इंसान हूँ ऐसा——————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)